गज़ल

ज़िन्दगी के रंग कई

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 15 Oct, 2020 | 1 min read

हर पल है बनती - संवरती ज़िन्दगी

फिर भी हर पल लाज रखती ज़िन्दगी।


 नित नए रूप दिखाती है ये हमें

चाहे तेरी हो या हो मेरी ज़िन्दगी ।


कभी दोस्त,कभी दुश्मन से परिचय कराए

कभी दु:ख तो कभी सुख देती ज़िन्दगी।।


कभी रूठते हम इससे , कभी मन जाते

हर पल दो-दो हाथ किया करती ज़िन्दगी ।


रूठने के बाद फिर से मनने के लिए

मौत से भी लड़ती -झगड़ती ज़िन्दगी ।


खिल जाएं बांछे मिलकर झूठ से लेकिन

सच के साथ साथ मिल मलती ज़िन्दगी ।


कब समझी है *प्रेम* सारे फलसफे इसके

दास्तां मेरी अन्जान ये लिखती ज़िन्दगी ।

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Prem Bajaj

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