बरगद का पेड़

बुजुर्ग बरगद का पेड़ हैं, जो इनकी छाया में रहा वो सुखी रहा।

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 19 Dec, 2020 | 1 min read

बरगद का मै पेड़ हूँ , आँगन मे सदा मैं रहता हूँ ।

कुछ ना कहता कभी किसी से मूक देखता रहता हूँ ।

आँगन के इक कोने में पड़ा , तुम्हारा क्या मै लेता हूँ । 

कभी मै बच्चो का खिलौना बन जाता , ठँडी छाँव तुम्हे मै देता हूँ । 

तुम्हे ना कोई फर्क पड़ेगा मेरे इक कट जाने से ,

 लेकिन जब मै नही रहूँगा याद करोगे मेरे ख़ज़ाने को 

बच्चो का था मैं झूला बनता, ठँडी छँव तुमको देता।

किसी रूप में चाहे देखो , पेड़ों से ही जीवन फलता है ‌

नहीं रहेंगे पेड़ जब कहां से ताज़ी ठंडी हवा तुम पाओगे ।

सांस भी ना ले सकेगा कोई , घुट कर ही रह जाओगे ।

करते हैं बार-बार विनती ये तुमसे मत काटो तुम इन पेड़ों

को , ग़र है वातावरण को स्वच्छ बनाना तो तुम सब पेड़ लगाना ।

बरगद का पेड़ ये देता तप्त सहारा , बुज़ुर्ग हमारे आसमां का साया , बांध के रखता परिवार में सारा ।

सारे में इसके सुख की सांस लेते हम ।

ना जाने कैसी हवा चली है किसी भी घर में बरगद के लिए जगह नहीं है ।

 ....बरगद रूपी ये हमारे बुज़ुर्ग माना कुछ हैं मीठे ....कुछ है फीके    .. फिर भी है ये हमारे शुभचिन्तक ‌इतनी बात जान लो तुम , आँगन से इस पेड़ कभी ना हटाना , वर्ना पड़ेगा फिर पछताना ।

....काश ..हर घर के आँगन मे सलामत रहे ये पेड़ तो क्यो बने वृद्ध-आश्रम , और ना हो कोई घर से महरूम ।

    हर बरगद ये सोच रहा , घर- घर में क्यूं आंगन छोटा हो रहा ‌ ।

......काश..ये बरगद रूपी हमारे बुज़ुर्ग हर घर मे प्यार पाँए...।

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Prem Bajaj

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