नज़र

वो प्यासी नज़र

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 05 Oct, 2020 | 1 min read

नज़र से मिली जो प्यार भरी नज़र

ये दिल मैनें कर दिया उनकी नज़र।


छा गया था मदहोशी का आलम

जब मिलाई उन्होंने नज़र से नज़र।


ना रही अपनी, ना दिल की ख़बर

ऐसी मारी उन्होंने तीर-ए-नज़र।


अब तो चैहरा भी उन्हीं का और

ख़्वाब भी उन्हीं के देखती है नज़र।


उनके इश्क ने मुझ पे किया वो असर

हर तरफ़ वो ही वो आते हैं नज़र ।


उनकी दूरियों ने किया मुझे बेसब्र

बस उन्हीं का इंतज़ार करती है नज़र।


ना जाने कहां हो गई ख़ता मुझसे

कि ख़फ़ा हो गई उनकी नज़र ।


नहीं अब कोई चाह, नहीं कोई तलब

उनकी एक झलक की प्यासी है नज़र।


दिल के किसी कोने में बसी है

अभी भी उनकी वो प्यासी नज़र ।

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Prem Bajaj

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