खुशियो के पल

मां तो मां ही होती है

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 25 Oct, 2020 | 1 min read

अरे शालिनी तुम्हें यहां आए एक साल हो गया आज पहली बार तुम्हारे चेहरे पर

चमक देखी है , क्या बात है ??

विमला आज मैं अपने घर जा रही हूं , मेरा बेटा - बहु मुझे लेने आ रहे हैं ।

आज मेरे लिए बड़ा खुशी का दिन है ,बहुत आनंदित हूं मैं ।

शालिनी ज्यादा खुश ना हो ,ये चोंचले है उनके, पिछली बार भी तो तु कह रही थी

बहु लेने आई है , अरे वही यहां वृद्ध-आश्रम में छोड़ कर गई वो क्यूं लेने आएगी तुझे ।

 आज आएगी कल रो रही थी फोन पर माफी मांग रही थी । शालिनी विमला को सारी

बात बताती है ।

 रमेश शालिनी का इकलौता बेटा है, दो साल पहले पति का देहांत हो चुका था ‌।

रमेश नौकरी करता है , पोता आदित्य पढ़ाई के लिए विदेश गया है , जब से उसके

दादा जी नहीं रहे रोज़ दादी से बात करता था , बहु ( रीमा )को हर समय बाहर पार्टियों से फुर्सत नहीं

शालिनी अकेली पड़ गई , एक बार बहुत से कह दिया ..... बेटी कभी थोड़ा समय घर भी रहा करो

मैं अकेली सारा दिन क्या करूं , कभी मेरे साथ भी वक्त गुजार दिया करो ।


बस पता नहीं रमेश को क्या समझाया अगले ही दिन सुबह दोनों ने मेरा सामान बांध दिया ।

मां मैं सारा दिन जोब पे रहता हूं , रीमा भी व्यस्त रहती है आप अकेले परेशान ना हों इसलिए आपके लिए अपना

होम में बुकिंग करा दी है , हम जब भी समय मिलेगा आप से मिलने आया करेंगे , और आप को एक फोन ले देते हैं

 ताकि समय - समय पर हम भी आप से बात करते रहे, लेकिन हां प्लीज़ आदि से कुछ मत कहिएगा , ख़ामख़्वाह पढ़ाई

छोड़ कर आ धमकेगा ।

कल अचानक बिन बताए आदि आ गया ,शायद कुछ छुट्टियां होंगी और मुझे घर में ना पाकर पूछा तो मज़बूरी में बहुत ने सब कुछ बता दिया , तो आदि ने कह दिया ..... माॅम - डैड आप लोग भी अपने लिए बुकिंग करा लो क्योंकि मैंने लड़की पसन्द कर ली है , और हम भी आपके साथ नहीं रहना चाहते , जब आप अपनी मां के साथ नहीं रह सकते तो आप मुझ से ये उम्मीद मत किजिए , बेटे के मुंह से ऐसे शब्द सुन कर बहुत को अपनी गलृती का एहसास हुआ , मेरा पोता कल से भूखा है , कि खाऊंगा तो दादी के साथ ।

इतने में सब सामने आते हुए दिखाई देते हैं , पोता दौड़ कर दादी के गले लगता है , दोनों की आंखों से झर-झर गंगा - जमुना बस यही है , और बहु - बेटा दोनों दूर नज़रें झुकाए अपराधी जैसे खड़े हैं , शालिनी उठ कर उनके पास जाती है ।

अरे ऐसे क्या खड़े हो मिलोगे नहीं मां से ??

दोनों .... मां किस तरह आपसे नज़रें मिलाए , हिम्मत नहीं हो रही हमने बहुत गल्त किया आपके साथ हो सके तो हमें क्षमा कर दो । अब चलो अपने घर और हमें फिर से वही खुशियों के पल लौटा दो ।

सभी आश्रम वाले शालिनी को बाहर तक छोड़ने आते हैं , और सभी दुआ करते हैं कि सब बुजुर्ग अपने ही घरों में सुरक्षित रहे , इस अपने घर( वृद्ध- आश्रम) में नहीं ।




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Prem Bajaj

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