तुम क्या जानो क्या प्यार है

खुद को खो देना प्यार है

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 05 Oct, 2020 | 1 min read

 तुम क्या समझो , तुम क्या जानो, क्या प्यार है

आग भी है , दरिया भी है , राजा भी है , रंक भी प्यार है ।


आशिक का कलंक प्यार है , किसी के इश्क में फ़ना होना प्यार है

मय का सरूर प्यार है , हुस्न का ग़रूर प्यार है ।


इश्वर की लगन प्यार है , दिल की अगन प्यार है

मानव का इतिहास प्यार है , शब्दों की मिठास प्यार है ‌।


बरखा का मेघ प्यार है , रिमझिम बारिश सावन का प्यार है

सुखे पत्ते पतझड़ का प्यार है , हरियाली बसंत का प्यार है ।


किसी पर सब कुछ लुटाना प्यार है, पागलपन की हद तक जाना प्यार है

परवाने का शमां संग जलना प्यार है, भंवरे का कली में बंद हो जाना प्यार है ‌।


निस्वार्थ सेवा - भावना प्यार है, ग़र बांटो किसी का दु:ख- दर्द वो प्यार है

किसी की निगाहों में खुद को ढुंढना प्यार है , किसी को पाने के लिए

खुद को खो देना प्यार है ‌, प्यार  तो सिर्फ प्यार है ।

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Prem Bajaj

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