निवाला

गरीबी अभिशाप

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Prem Bajaj
Prem Bajaj 07 Oct, 2020 | 1 min read

मां , मां बहुत जोरों से भूख लगी है , कुछ खाने को दो ना ।

कहां से लाऊं , कोरोना की वजह से सब बोलते हैं दूर रहना है

किसी को अपने घर नहीं आने देना ,ऐसा कह के कोई नहीं काम देता ।

मां लाला से उधार ले आओ ना , जब काम मिलेगा चुका देना ‌।

हां बचुआ मैं भी यही सोच रही हूं , अब और तो कोई चारा ना है ।

आज तेरा बापु ज़िन्दा होता , कहीं से जुगाड कर ही लेता ,

उसको भी मुआ कोरोना खा गया ।

चल अभी पानी पी लें रात को लाला से कुछ खाने को लाना ही होगा ,

वरना तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी ।

मां अभी ले आओ ना ।

ना बचुआ वो अभी ना देवेगा , वो रात को देवे है , अब तुझे कैसे समझाऊं ,

कि इस बड़े लोग काम नहीं देते कोरोना का डर खाए हैं इनको ,

लेकिन इमान के बदले निवाला देते हैं ।

लाला के पास गई .... लाला बचुआ के भूखों मरने की नौबत है , कुछ खाने के लिए दे दो ।

आओ रानी , आओ, मैं तो बोला था तुझे , तु ही नहीं आई ।

लाला कोरोना है !

अरे काहे कोरोना का रोना रोवत है , आजा अन्दर फटाक से ‌।

थोड़ी देर बाद लाला के घर से ढेर सारा खाना मिल गया ।

मां काम मिल गया का ।

हां बचुआ इमान बेचने का काम है , अगर निवाला चाही तो ई काम अब करना ही पड़ी ।

                    *वाह रे इन्सान

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Prem Bajaj

prembajaj1

Comments

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  • Shalinee Srivastava · 3 years ago last edited 3 years ago

    Wah,👏👏 aapne jiwan ki sacchai likhna hai

  • Prem Bajaj · 3 years ago last edited 3 years ago

    जी शुक्रिया 🙏

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