अच्छे स्वास्थ्य का राज़ योग

योग ही जीवन है

Originally published in hi
Reactions 0
336
prem bajaj
prem bajaj 20 Jun, 2021 | 1 min read



योग की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी, बौद्ध और हिंदू धर्म से जुड़े लोग योग और ध्यान का प्रयोग करते थे, आमतौर पर हस्तयोग के अन्तर्गत बहुत से आसनों का भारत में अभ्यास किया जाता था

योग का अर्थ है,  जुड़ना, मिलना- मिलाना, इसी आधार पर जीवात्मा और परमात्मा का मिलन योग कहलाता है, इस मिलन को समाधि की भी संज्ञा दी गई है‌, महर्षि पतंजलि ने योग शब्द को समाधि के अर्थ में प्रयुक्त किया है, व्यास जी ने भी 'योग: समाधि:' कहकर योग शब्द का अर्थ समाधि ही किया है। समाधि अर्थात मानसिक अनुशासन, ईश्वर से सहज मिलन की प्रक्रिया है योग।

"योगाष्चित्तवृत्ति निरोध: अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।"

चित्त का तात्पर्य अन्तःकरण से है , बाह्म ज्ञानेन्द्रिया जिन विषयों का ग्रहण करती है उसे अन्तःकरण तक पहुंचाती है, मन उस ज्ञान को आत्मा तक पहुंचाता है और आत्मा साक्षी भाव से देखता है, बुद्धि और अंहकार विषय का निश्चय करके उसमें कर्तव्य भाव लाते हैं, इस पूर्ण प्रक्रिया में जो प्रतिबिंब बनता है वह वृति कहलाता है, यह चित का परिणाम है, चित विषयकार हो जाता है, चित को विषयकार होने से रोकना ही योग है।

योग करने का एक ही नहीं अनेक कारण हैं, योग तनाव कम करता है, योग हमारे जीवन में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, नैतिक, विकास करता है। योग में कोई उम्र सीमा नहीं होती, किसी भी उम्र के स्त्री - पुरुष योग कर सकते हैं। योग से रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है और हानिकारक टाक्सिन भी बाहर निकलते हैं, जिसका प्रभाव तन पर ही नहीं मन पर भी पड़ता है। योग से मोटापा नियंत्रित होता है। योग अवयवो एवं मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, जिससे एक खिलाड़ी खेल के वक्त लगने वाली चोटों से बच सकता है, ओर खेल के लायक शरीर में लचीलापन भी आ जाता है, और अपने संतुलन को भी बढ़ा देता है। शरीर को पूर्ण ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है योग, योग करने वाले का सदा चेहरा दमकता है, तन-मन तंदरुस्त रहता है, योग करने वाला बूढ़ा भी जवान नज़र आता है।

योग हमें खुद से खुद का साक्षात्कार कराता है, अनेकों बिमारियों को जड़ से खत्म करता है, डिप्रेशन, बी. पी. शुगर, गठिया इत्यादि अनेकों रोगों को जड़ से खत्म करता है। योग हमें अपनी भावनाओं, इच्छाओं पर नियंत्रण करना सिखाता है।

 महर्षि पतंजलि के शब्दों में योग का लक्ष्य है कि दुःख के उत्पन होने से पहले ही उसे रोक देना, उस बीज के अंकुरित होने से पहले ही उसे भस्म कर देना।

योग सुबह सूर्योदय से पहले अथवा सूर्यास्त के बाद करना चाहिए। योग से पहले सुक्ष्म व्यायाम करें जैसे कपालभाति इत्यादि। योग के बाद पोष्टिक भोजन लेना चाहिए जैसे फल, हार्ड ब्यालड एग्ग, दही, सलाद, लाईट सेंडविच, नट्स और सीड्स इत्यादि।

लेकिन योग पूरी जानकारी में ही करना चाहिए, लो कहते हैं ना  " नीम - हकीम खतरा-ए-जान"    अर्थात आधी-अधूरी जानकारी में कुछ भी नहीं करना चाहिए, अन्यथा फायदे के स्थान पर नुकसान हो सकता है, योग करते समय मन-मस्तिष्क शांत रखें एवं साकारात्मक विचार हो, तो योग स्वस्थ जीवन का राज़ बन सकता है ।

     "योग अपनाएं जीवन अपना स्वस्थ बनाएं"




प्रेम बजाज

0 likes

Published By

prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.