निराश ना हों

निराशा त्यागो

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prem bajaj
prem bajaj 12 May, 2021 | 1 min read

ज़िन्दा है अभी भी मेरी उम्मीद का दिया, मुस्कराहट की बाती से, ना हारने की ज़िद के तेल से जलाया है मैंने इसको, कल शाम ढलते मैंने किया था विदा जिस सूरज को, घनी अंधेरे तिमिर के बाद फिर नई सुबह में सूरज को देने रौशनी मेरी उम्मीद का दिया जल रहा है

एक पल के लिए फट गया था आस का दामन, प्यार के धागे से फिर से उसको सिलने लगी हूं, हां हो रहा है असर दवा का धीरे-धीरे, मगर दुआ गज़ब का असर दिखा रही है, मानो पत्थरों के शहर में एक कच्चा सा मकान दिख रहा है।

सुना था दुनियां के बाज़ार में हर शय बिकती है, आज मैंने भी यारों से कुछ दुआएं खरीदी है, नहीं चुकाई कोई कीमत इसकी मैंने, बस चीर के अपनी छाती दिखाई है, है जिसमें प्यार अनन्त, उस प्यार ने प्यार को खींचा है।

ए खुदा के बन्दों तुम भी किसी से प्यार कर लो, किसी को दे दो कोई वादा किसी का एतबार कर लो, ना रखो किसी से बैर-भाव, कल का भरोसा नहीं, जो करना आज कर लो, ग़र आए किसी के दुःख मे काम तो नाम कमा जाओगे, किसी मज़लूम की करोगे मदद तो खुदा की रहमत पा जाओगे।



प्रेम बजाज

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