आक्सीजन बिना संसार

आक्सीजन बिना

Originally published in hi
Reactions 1
344
prem bajaj
prem bajaj 29 Apr, 2021 | 1 min read




नहीं मालूम था कि जो ऑक्सीजन बेअंत पेड़-पौधे यूं ही हम पर लुटाते थे, हम उसी ख़ज़ाने को समझ बेकार उन पेड़ों के सर काट जाते थे, नहीं लगते थे अच्छे वो पेड़-पौधे, वो कच्चे-पक्के रास्ते, हटा उन्हें अपने रास्ते से सुन्दर सीमेंट की सड़कें बनाई है, कितनी प्रगति की हमने गांवों में भी शहर सी तब्दीली पाई है।

छोटे-छोटे फ्लैट्स में रहने को शान हमारी अच्छी है, परन्तु गांव से अच्छी ज़िंदगी शहर में ये बात पूरी कच्ची है। कभी ठंडी-ठंडी हवा हमें पेड़ दिया करते थे, पंछी भी तो इन पेड़ों पर घर अपने सहेजा करते थे। जब पेड़ ही नहीं तो पंछी भी कहां से आएंगे। वो ठंडी मस्त हवा के झोंके, वो चिड़ियों की चहचहाहट अब हम कहां से सुन पाएंगे।

ईश्वर की कृति पर ग़र इतना ना ज़ुल्म किया होता, क्यूं तरसते प्रकृतिक ऑक्सीजन को, ना हाल हमारा यूं हुआ होता। बिना ऑक्सीजन के ना जाने क्या हाल होगा इस संसार का। करके दुःखी प्रकृति को अब दुःख हमने पाया है, हो जाएगी कृपा प्रकृति की ग़र हम करलें पश्चाताप उसका जो हमने प्रकृति को सताया है।



मौलिक एवं स्वरचित

प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर)


1 likes

Published By

prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.