बिन फेरे हम तेरे( unique love)

प्यार तो केवल प्यार है, उसे रस्मों-रिवाजो की परवाह कहां होती है।

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prem bajaj
prem bajaj 07 Sep, 2021 | 1 min read



कहने में और सुनने में कुछ अजीब लगता है, लेकिन ये भी एक सच्चा रिश्ता है ,दिल का रिश्ता है।

 जब दिल से दिल जुड़ जाता है ,तो चाहे हम साथ -साथ ना रहे ,लेकिन हमें एक दूसरे की फिक्र होती है, एक दूसरे के प्रति लगाव होता है, इसी को प्यार कहा जाता है । 


नीतू और सोहन का रिश्ता भी कुछ ऐसा ही है, उन्होंने शादी नहीं की, और ना ही साथ-साथ रहते हैं, लेकिन एक दूसरे की फिक्र रहती है उन्हें, एक दूसरे का ख़्याल रखते हैं। 

नीतू और सोहन को आज 20 साल हो गये है इस रिश्ते को निभाते हुए , कभी उन्होने मर्यादा का उलंघन नहीं किया। दुःख-सुख में हमेशा एक दूसरे के साथ रहे। आज समाज भी उनको इज़्ज़त की नज़र से देखता है , क्योंकि सब आज जान गये है कि इनका रिश्ता तन का नहीं मन का है, इनका रिश्ता दिखावा नहीं ,सच्चा है। 


नीतू एक साधारण परिवार से थी ,ज्यादा पढी़ -लिखी भी नहीं थी , बडी़ दो बहनों की शादी हो गई , एक भाई था।


 भाई चाहता था कि पहले नीतू की शादी हो जाए तब वो करेगा ,हालाँकि वो नीतू से बडा़ था । अच्छा घर-बार देखकर नीतु की शादी कर दी गई । 


नीतु के भाई सूरज का एक बचपन का दोस्त था सोहन, सूरज के घर अक्सर उसका आना-जाना होता था, वो नीतु को पसन्द करता थाऔर नीतु भी उसे मन ही मन चाहने लगी थी, लेकिन किसी में कहने की हिम्मत नहीं की, क्योंकि सोहन उनकी जातबिरादरी का नहीं था, और वो जानते थे कि उनकी शादी नहीं हो सकती, इस बात को ना ही घर वाले और ना ही गाँव वाले स्वीकार करेंगे।


नीतु की शादी के बाद उन्हें नीतु के ससुराल वालों का असली चेहरा तब नज़र आया, जब नीतु शादी के बाद पग फेरे के लिए नहीं आ पाई ,लेकिन जब वो कुछ दिनों के बाद आई तो उसके चेहरे पर चोटों के निशान देख कर उसके परिवार वाले दँग रह गये, और नीतु ने बताया कि उन्होंने पैसों की माँग की है।  


इस तरह अक्सर 10-15 दिनों के अन्तराल में नीतु मार खाकर आती और पैसे ले जाती।  सोहन का अक्सर नीतु के गाँव किसी ना किसी काम से चक्कर लग जाता था । 

सोहन को नीतु की मार और पैसों के बारे में भी सब पता लग गया था।

उसने सूरज से बहुत बार कहा," सूरज नीतु को घर वापिस ले आ, वो लोग किसी दिन नीतु को मार देंगे, ऐसे लालची लोगो से क्या रिश्ता रखना"


 लेकिन सूरज और उसका परिवार नहीं मनते थे कहते, "गाँव वाले क्या कहेंगे, कि शादीशुदा लड़की को घर में बैठा लिया , तुम्हें तो पता है यहाँ गावँ में ऐसा थोडे़ ही होता है"

 एक दिन सोहन जब नीतु के गाँव किसी काम से गया तो ना जाने उसके मन में क्यों बेचैनी हो रही थी, वो नीतु के घर चला गया , पहले भी वो सूरज के साथ कभी-कभी चला जाता था नीतु के घर। जब वो वहाँ पहुँचा तो वहाँ का मँजर देख कर उसके पैरों तले से ज़मीन निकल गई।


 नीतु के तन के कपडे़ चीथड़े बन चुके थे,और उसके माथे से खून बह रहा था चोट लगने की वजह से, लेकिन अभी भी उसे मारा जा रहा था,और वो गिड़गिडा़ कर बार-बार एक बात कह रही थी , "मेरा भाई इतने पैसे कहाँ से लाएगा"

 "हमें नही पता जहाँ से मर्ज़ी लाओ हमें तो पैसे चाहिए, वरना अपने घर वापिस चली जाओ, हमने कोई धर्मशाला नहीं खोली जो तुम्हें खिलाते रहे"


सोहन देख कर बोखला गया और नीतु को साथ लिवा लाया, जब नीतु घर पहुँची और सोहन ने सारा किस्सा सूरज को बताया तो सूरज फिर से वही बात दोहराने लगा कि हम नीतु को घर नहीं रख सकते , इस की अब शादी हो गई है ,इसका जीना-मरना अब वहीं पर है, वहीं अब इसका नसीब है, जैसे लाए हो वैसे ही उसे वापिस छोड़ आओ । 

सोहन नहीं माना ,और नीतु भी वापिस उस नरक मे नहीं जाना चाहती थी। सोहन ने कहा, " मेरी अब शादी हो गई है , इसलिए अब हम शादी तो नही कर सकते ,लेकिन मैं तुम्हें उस नरक मे भी वापिस नहीं जाने दूँगा, शहर में मेरा एक दोस्त है, मैं तुम्हें उसके घर कुछ समय के लिए छोड़ दूँगा और police station जा कर हम तेरे ससुराल वालों के खिलाफ केस भी करेंगे। तुझे उससे तलाक दिलवा कर तेरी शादी करवा दूँगा।

 लेकिन नीतु अब दूबारा शादी नहीं करना चाहती थी । उसके मन तो अभी भी सोहन बसा हुआ था, वो उसी की यादों के सहारे जीवन बिताना चाहती थी ।

 सोहन नीतु को शहर ले आया ,अपने दोस्त के घर ठहरा दिया सोहन का दोस्त सब इँसपेक्टर था थाने में ,उसके परिवार ने नीतु का बहुत ख्याल रखा और उसकी हर सँभव मदद भी की । 

नीतु को तलाक दिलवाया और उसे सिलाई का कोर्स भी करवाया , सोहन ने उसे सिलाई मशीन ले दी ताकि वह अपना खर्चा खुद उठा सके , और किसी पर बोझ ना बने।


 समय -समय पर सोहन शहर आता रहता है नीतु की खै़रियत जानने के लिए, दुःख-सुख में भी हमेशा उसकी मदद करता है । 

नीतु अपने इस बेनाम रिश्ते से बँधी , बिन फेरों की बिन ब्याही दूल्हन की तरह अपनी ज़िन्दगी काट रही है ,लेकिन वो खुश है अपने इस रिश्ते से, उनका रिश्ता पावन-पवित्र रिश्ता है, कोई कसमें नहीं ,कोई वादे नहीं, फिर भी वो इक- दूजे के हैं।


प्रेम बजाज ©®

जगाधरी ( यमुनानगर )

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