जुनून-ए-इशक क्या कहिए

इश्क का जुनून

Originally published in hi
Reactions 0
337
prem bajaj
prem bajaj 07 Sep, 2021 | 1 min read



आ करीब इतना कि तुझको छुपा लूं रूह में अपनी, 

पी जाऊं तेरे हुस्न को पानी के जैसे, तु पिए मीठा ज़हर इश्क का, जो मज़ा आए क्या कहिए।


तु मेरे पास, मैं तेरे करीब क्या कहिए।

ये बाद-ए-सबा का आलम,

विसाले-यार का लुत्फ क्या कहिए, आसमान भी झुक जाए शान में जमीं की क्या कहिए।


है हुस्न ख़ामोश इश्क की आगोश में बेखबर जहां से क्या कहिए।

ये इश्क का जुनून भी अजब है, पानी में भी लगा दे आग क्या कहिए।


थी चाहत कि,वो मेरे करीब आएं, मगर उफ़्फ ये मोहब्बत नहीं जुनून है उनका, ना समझे वो, ना समझे हम, और ये बेकरारी का आलम क्या कहिए।


इश्क की भी क्या रवायत है, ये कल भी तड़पाता था हमें, आज भी तड़पा रहा है, जाग रहे हैं एक ज़माने से, ग़मे-इशक की दास्तां क्या कहिए।


चढ़ते सूरज सा जवां होता प्यार हमारा,

ये उल्फत का जुनून है, या तेरे बिछुड़ने का खौफ़,

कैद कर लिया है तुझ को खुद में क्या कहिए।


 गोशा -ए-चश्म कभी ना दूंगा भीगने, जहां पड़ेंगे कदम दिलबर के, रख देंगे दिल कदमों तले, ऐसा है इश्क हमारा क्या कहिए।


धरा- आसमां सा प्यार हमारा, छलक रही गगरी प्यार की,जुदा ना हो कभी, ऐसा इश्क-ए-जुनून क्या कहिए।


ता-उम्र दिल मुझे, मैं दिल को समझाता रहा,

कमबख्त ना माने, ख़ाक होने की ज़िद्द करें हुस्न की राह में क्या कहिए।


प्रेम बजाज ©®

जगाधरी (यमुनानगर)

0 likes

Published By

prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.