इश्क की गुजारिश

इश्क

Originally published in hi
Reactions 0
313
prem bajaj
prem bajaj 08 Feb, 2022 | 1 min read



इश्क की गुजारिश है ना यूं हया का पर्दा करो,

हटा दो नैनों की चिलमन ज़रा इश्क का दीदार करो। 


धड़कने दो इस दिल को इश्क की पनाहो में, महकने दो अपनी सांसों को आ कर मेरी बांहों में।


 रूह का रूह से हो जाने दो मिलन, जिस्मों की भी कम हो जाएगी तपन।

 रख दो अपने होंठ मेरे सुर्ख लबों पर, इन्हें एक-दूजे के रंग में रंगने दो।


सिमट कर रह ना जाएं ख़्वाब मेरे, बंद पलकों को चूम कर पलकों से ख़्वाबों को नया आयाम दे दो। 


ग़र जली है शम्मा तो परवाना भी तड़पा है शब-भर,

 लेकर आगोश में अपनी इस परवाने को एक नया मुकाम दे दो। 


छू कर तुम्हें जल जाऊं मैं, तुम भी पिघल कर मेरी बांहों में फ़ना हो जाओ। 

आओ मैं तुझ में समा जाऊं, तुम मुझ में समा जाओ।


विरह वेदना में तड़पती इस रात को अपना अहसास दिला दो,

लम्हा-लम्हा सांसों को रवानी दे दो, एक शाम सुहानी दे दो।


गाता रहूं तरन्नुम में ऐसी कोई कहानी दे दो,

खोया रहूं यादों में तुम्हारी हर पल ऐसी कोई निशानी दे दो।


प्रेम बजाज ©®

जगाधरी (यमुनानगर)

0 likes

Published By

prem bajaj

prembajaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.