इश्को-मोहब्बत की बातें

इश्क - मोहब्बत

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prem bajaj
prem bajaj 23 Dec, 2021 | 1 min read




ना कीजे इश्क़ो- मोहब्बत की बातें ये बर्बाद करती हैं ,

नहीं रखती कहीं का ये कि खाना - ख़राब करती हैं ।


दास्तां- ए - खाना- वीरानी ना देख मेरा तुम रो दोगे 

दिखा के बागे- बहिशत क़फ़स का आगाज़ करती है ।


दिले- बेताबी बढ़ी हद से तो तेरे करीब आ गए हम 

शहरे-आरजु जवां है , निगाहें जमाल तरसती हैं ।


करके अज़्म चला गया ना देखा एक बार भी मुड़ कर 

मगर मैयत मेरी अभी भी उसी का इंतजार करती है ।


दिले- दाग़दार का सबब ना पूछ हमसे कैसे जीते हैं 

तस्वीर यार की खिलबत का आफताब लगती है ।




प्रेम बजाज

जगाधरी ( यमुनानगर)

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