prem bajaj
prem bajaj 06 Apr, 2022
भव्य
पैसा तो है मैल‌हाथ की, फिर किस बात का ग़रूर है, भव्यता तो राजाओं-महराजाओं की भी नहीं रही, मिट्टी से आया मिट्टी में मिल जाना, मेरी-मेरी फ़िज़ूल है।

Paperwiff

by prembajaj

06 Apr, 2022

भव्य

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