prem bajaj
prem bajaj 12 Apr, 2022
पलकें
सुबह क्यों ना हो मेरी पलकें भारी, रात भर तुम इन आंखों में जो रहते हो, कहने को हम सोया करते हैं, मगर शब-भर ख़्वाबों में तुम आते-जाते रहते हो।

Paperwiff

by prembajaj

12 Apr, 2022

पलकें

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