ज़ुदाई

हमें दूर करना होगा। ख़ुद व समाज रुग्ण होती मानसिकता को।जो फैला रही है अपनी जड़ें समाज की नींव को खोखला करने के लिये।

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 21 Oct, 2020 | 1 min read
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मेरी रुग्ण रूह चाहती है जुदाई,

बीमार होती मानसिकता से।


जो उँगली उठाना तो जानती है

मगर रास्ता दिखाना नहीं जानती ।


 खोखली होती दलीलो से चाहती है जुदाई ,

जो ढोनी पड़ती है कंधों पर।


राहें  कठिन हो जाती है,

जब दलीलें आ जाती  ।


पक्षपात भेदभाव से चाहती है जुदाई , 

जो बाँट देती है मानवता को।

 

न मांग सको अपना कोई अधिकार, 

बस चींटी की तरह अनुकरण करो।



जुदा करो ऐसी मानसिकता को,

जो रुग्ण कर रहा है हमारे समाज को।


एक कदम आगे बड़ा कर ,

तोड़ दो इन सब दलीलों को

जो कर रहा रुग्ण हमारे भविष्य को।

फ़िजा में फैला दो ये संदेश,

हम नहीं सहेगे अत्याचार ,

मुक्त करेगे ख़ुद को इन अज्ञानता की जंजीरों से

जिन्होंने जकड़ रखा था

हमारे मन के उजालो को..........

प्रीती गुप्ता 


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Preeti Gupta

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