घर पर ही रहना हैं #poetrycontest

Poetry on Coronavirus safety

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PRATHAM PAWAR
PRATHAM PAWAR 22 Apr, 2020 | 0 mins read

घर के बाहर नहीं जाना है

एक अदृश्य विषाणु ने बीमारी फैलाई है

न जाने ये कैसी आफत मानव पर आई है

सारी प्रकृति मस्त है आज़ाद है खुश है

अब कैद में रहने की इंसान की बारी आई है

ये बड़ा जहरीला विषाणु है फट से असर दिखाये

छूते और खांसते ही दूसरों के शरीर में समा जाये

पर मेरे देश ने इसको हराने के लिए सब प्रयास कर दिए

अपनी भरतीय रेल के डब्बे ही आइसोलेशन वार्ड कर दिए

बस इस जंग में सबको एक ही हथियार उठाना है

घर में रहना है, घर से बाहर बिल्कुल नहीं जाना है ।

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