सच्चा दोस्त

दोस्तों की कहानी...

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Pragati tripathi
Pragati tripathi 22 Jan, 2020 | 1 min read

बचपन से ही मैं अंतर्मुखी और संकोची स्वभाव की थी। बचपन की वो सुहानी याद... बात उस समय कि है जब मैं पांचवीं कक्षा में थी। क्लास में बिना वजह कुछ लड़कियां मुझे तंग करने लगी थी तभी नैना नाम की लड़की सामने आई और उसने उन्हें डांटकर भगा दिया और मुझसे बोली, "ऐसे चुप रहने से काम नहीं चलता, जितना सहोगी लोग उतना ही तुम्हें उतना ही तंग करेंगे, गलत का विरोध करो। उस दिन मुझे एक नई सीख मिली और धीरे-धीरे हम एक-दूसरे से अपनी दुःख - सुख बांटने लगे। पढ़ाई-लिखाई में भी एक दूसरे की मदद करने लगे फिर

है।

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