ख्वाहिश

ख्वाहिशों का अंत नहीं होता है, इसी पर आधारित लघुकथा।

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Pragati tripathi
Pragati tripathi 19 Jan, 2020 | 0 mins read

"संध्या तू तो फैशन डिजाइनर बन गई अब तो तू खुश हैं ना! तेरा सपना पूरा हो गया।", मायरा ने कहा।

"मायरा मेरी दोस्त अभी मेरी ख्वाहिश पूरी नहीं हुई, मेरी ख्वाहिशों का सफर अभी बाकी है। मुझे विश्व की टाॅप फैशन डिजाइनर बनना है, ये तो अभी शुरुआत है अगर अभी मैं संतुष्ट हो जाऊंगी तो मेरी जिंदगी यही रूक जाएगी। एक सपना पूरा होने के बाद नया सपना आंखों में पलने लगता है और जब हम शीर्ष तक पहुंच जाते हैं फिर भी ख्वाहिशें खत्म नहीं होती", संध्या ने कहा।

"सही कहा मायरा ख्वाहिशों का कभी अंत नहीं होता, एक पूरा होता है तो दूसरा सपना पलने लगता है। ऐसा ही होना चाहिए लेकिन इन सबके लिए कभी आत्मसम्मान को ठेस नहीं पहुंचाना।", संध्या ने कहा।

"सही कहा संध्या, बहुत लोग जल्दी सफलता पाने के चक्कर में अपने आत्मसम्मान की भी बलि दे देते हैं। लेकिन तू तो जानती है ना कि मैं ऐसी नहीं हूं तो तू ये चिंता छोड़ दे," मुस्कुराते हुए मायरा ने कहा।

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