श्रद्धा

भगवान पर श्रद्धा

Originally published in hi
Reactions 0
593
Pragati gupta
Pragati gupta 15 Oct, 2020 | 1 min read

"  रोशनी इधर आ चल तेरे बापू तुझे बुला रहे हैं " । रोशनी की सौतली मां लाजो उसें आवाज लगाते हुए बोली ।रोशनी अपनी मां की एक ही आवाज़ मे भागती भागती सीधा रसोड़े मे आई और मुस्कराते हुए बोली -" अम्मा , क्या हैं , काहें को इतनी जल्दी बुलवा लिया , कितने दिनों बाद तो सहेलियां मिलीं थीं , तूं चैन से किसी से बात भी ना करने देतीं " ।

" हां , बाद में कर लियों बातें , जाओं बापू के लिए रोटियां सेंक दें , जब तक मैं गणेश जी के प्रसाद के लिए लाड़ू बना देतीं हूँ " । लाजों मे अपने एक कमरें की झोपड़ मे रखें सामने काली मिट्टी के गणेश की ओर निगाहें फेरते हुए कहा । रोशनी अपनी मां की बात सुनकर चुपचाप चूल्हे के सामने बैठर अपने बापू के लिए रोटियां सेंकने लगी़ । और लाजों वहीं अपने गणेश जी के लाड़ू बनाने लगीं । गरीबी की हालत इतनी तंज थी कि घर में लाडू बनाने के लिए ना तो घी था ना ही तेल । फिर भी लाजो अपने गणपति को लाडू का प्रसाद लगाना चाहती थी । वह गरीब दुखियारी खुद अपना आधा पेट खाना खाकर अपने गणेश जी को भोग लगातीं थीं । उसे इसी में परम सुख और आनंद की अनुभूति होती थी । वह कभी भी साल में आने वाला एक गणेश उत्सव पर गणेश जी का विराजमान नहीं करवाती थी वह तो हर बार अपने ही हाथों से मिट्टी के गणेश जी बनाकर अपने घर पर सजाती थी और जब भी विसर्जन होता था तो उन्हें खुशी-खुशी पास के ही तालाब में विसर्जित कर देती थी । लेकिन इस बीच वह उन 7 दिनों में उस पर जो बन पड़ता था अपने गणेश जी के लिए करती थी । उसमें भगवान पर अटूट विश्वास रखने की क्षमता थी । लाजों का पति मजदूरी करता था । मजदूरी से जितनी भी आमदनी होती थी वह दो वक्त के खाने में चली जाती थी । लाजों ने रोशनी के पिता आनंद से दूसरा ब्याह किया था और रोशनी रोशनी उसकी सौतेली बेटी थी । असल में आनंद उसकी बहन का पति था एक एक्सीडेंट में उसकी पत्नी मर गई थी इस बीच अपने जीजा और अपनी भतीजी को पालने पोषने के लिए लाजो ने अपने सपनों की कुर्बानी दे दी और खुशी-खुशी दूसरा ब्याह रचा लिया था । उसने कभी भी रोशनी में कोई फर्क नहीं किया था । वो उसें अपने बच्चे के जैसे प्यार करती थीं । शादी के बाद उसने खुद का भी दूसरा बच्चा पैदा नहीं किया था ताकि वह कभी रोशनी से दूर ना हो पाए । वो नहीं चाहतीं थी कि रोशनी को कभी उसकी मां की कमी महसूस हो या कभी भी वह अपनी मां के लिए रोए । वो जानती थी कि अगर उसकी खुद की औलाद इस दुनिया में आ गई तो शायद हो सकता है 1 दिन रोशनी और अपनी औलाद में फर्क करना शुरू कर दें । इसलिए उसने खुद के बच्चे को पैदा ही नहीं किया ।

" अरे माही क्या कर रही है पानी से थोड़ी मोदक बनेंगे ?" रोशनी ने चूल्हे पर रोटियां सेकते हुए अपनी मां की ओर देखकर कहा ।

" हा लाजो बिटिया सही तो कह रही है ,बडे मोदक बनाने जा रही है पागल है क्या पानी से थोड़ी लाडू बनेंगे " । आनंद ने भी अपनी बेटी रोशनी को सपोर्ट करते हुए बोला । " अरे आप लोग तो ऐसे ही लगे रहते हैं अभी देखो मैं अभी आपको मोदक बना कर दिखाती हूं " । कहकर लाजों बार-बार उस मोदक  में दूध की जगह पानी भरने लगी पर । पर लाडू बनी नहीं रहे थे । वह तो बार-बार बिगड़ रहे थे हर चीज का अपना अपना मिजाज होता है । लाड़ू का भी एक मिजाज था । काफी देर तक जब लाजों  यूं ही लड्डू बनाती रहीं और लड्डू यूं ही बिगडते रहे तो वो गुस्साहो गई गुस्सा इस बात की कितनी कोशिश के बाद भी लाडू ना बन सके। उसने गुस्से में लाड़ू साइड में रख दिएं और खुद खेत की तरफ मुड़ गई । रोशनी ने अपने बाबू को खाना खिला पिला कर काम के लिए विदा किया और खुद मोहल्ले में जाकर एक हाथ में कटोरी लिएं यहाँ वहाँ घूमने लगी । मोहल्ले में जाकर उसने सबसे पहले अपने घर के बाजू वाला दरवाजा खटखटाया और कटोरी सामने लाकर गेट खुलते ही बोली-" काकी काकी थोड़ा दूध दो ना मां को लाडू बनाने हैं लाडू नहीं बन रहा है बिना दूध के थोड़ा दूध दे दो ना " । रोशनी की बात सुनकर उस बगल वाली काकी ने रोशनी को धक्के मार कर अपने घर से ये कहकर भगा दिया कि तेरी मां तो हर दिन यूं कटोरा लेकर भीख मांगने चली आती है । और अब अपनी बेटी को भी भीख मांगना सिखाने लगी है । रोशनी ने जब ये बात सुनी तो बहुत उदास हो गई वह अपनी मां के लिए कोई भी बात सुनना पसंद नहीं करती थी । पर वह हिम्मत नहीं हार सकती थी उसे किसी भी हाल में थोड़ा आगे जाकर वह दो कदम आगे बढ़ी और दूसरे घर में भी इसी हाल में दूध मांगने लगीं । लेकिन वहां से भी उसे ठीक ऐसे ही यही लफ्ज़ कहकर भगा दिया गया . उसने मोहल्ले के 15 से 20 दरवाजे खटखटाएं पर किसी ने भी उसे तो दूध ना दिया । वो उदास मन से लौट कर अपने घर आ बैठी और सामने रखी बब्बा की मूरत देखकर धीरे से बोली -" देखों ना बब्बा जी आपके लिए भी आपके नाम से जो कुत मांगने पर भी , किसी ने दूध नहीं दिया कैसे हैं आजकल के लोग । जो आपके नाम पर भी दो बूंद दूध देने से कतरा रहे हैं " । रोशनी बड़े ही प्यार से अपने छोटे-छोटे होंठों से ये बात इतनी निर्मल अंदाज में कह रही थीं कि अगर वहां कोई भी मौजूद होता तो शायद उसे उसे रोशनी पर दया आ जातीं । तभी तो भगवान ने भी एक चमत्कार कर दिखाया । वो अभी बब्बा जी के सामने ये सारी बातें कहीं कहीं रही थी तभी उसके कानों में किसी गाय के रोमने की आवाज आई रोशनी मुड़ी तो उसने देखा कि सामने एक गाय खड़ी है उसका छोटा सा बच्चा उसकी थनों में मुंह लगाकर दुथपान करता है । ये देखकर रोशनी बहुत खुश हो गई । उसे समझ आ गया कि उसे करना क्या है । उसने चारा उठाया और बच्चे के लिए डाल दिया जब बच्चा खाने में व्यस्त हो गया तो रोशनी ने गाय के थन में से दूध निकाल लिया दूध निकालकर उसमें बिलकुल वैसे ही मोदक बनाए जैसे उसकी मां बनाना चाहती थी । लाजों जब लौटकर शाम को आई और उसका पति भी इसके साथ आया तो दोनों ने घर पर मुंह मोदक देखें । मोदक देखकर लाजो की खुशी का ठिकाना नहीं रहा पर वह यह नहीं समझ पाई कि दूध कहां से आया । उसे लगा रोशनी ने किसी के यहां भीख मांगी हैं या किसी के घर से वह दूध चुरा कर लाई हैं । इसलिए उसने ना आव देखा न ताव और पास में रख एक लकड़ी  उठाकर रोशनी के पास जाते ही बोली -" कहां से दूध चुरा कर लाई है तू , किसके यहां से भीख मांग कर लाई । मैंने तुझे लाख बार समझाया कि किसी के सामने हाथ ना फैलाया कर । पर तुझें समझ नहीं आता क्या ?" लाजों चिल्लाकर रोशनी से बोली । 

" नहीं मां , मैनैं किसी से कुछ भी नहीं मांगा । मैंने किसी से दूध नहीं मांगा " ।

" झूठ बोल रही है झूठ बोलेगी अपनी मां से छुपा लूंगी तुझे शर्म नहीं आती " ।

" मेरा यकीन करो मैंने किसी के यहां से दूध नहीं मांगा " । रोशनी ने रोते-रोते कहा जिस पर लाजों हीं होगी और छड़ी से उस पर  बरसात करने लगीं रोशनी जब काफी बुरी तरह घायल हो गई तो आनंद को गुस्सा आ गया। उसने लाजो का हाथ पकड़कर उसे एक चांटा मारते हुए कहा -" हाथ पर हाथ उठाए जा रही हो उसे भी दर्द होता है और तुम नहीं समझोगे तो उसकी सौतेली मां हो ना । तुम ने उसे अपने कोख से जन्म नहीं दिया इसीलिए तो तुम्हें उसका दर्द समझ में नहीं आता " । आज लाजो आनंद के मुंह से सारी बातें सुनकर हक्का-बक्का रह गई । पिछले 9 सालों से वह रोशनी को पालती हुई आ रही थी उसने कई बार रोशनी को हर एक गलत और सही चीज के लिए डांटा था । लेकिन आज रोशनी पर हाथ उठाने की एकमात्र वजह यही थी कि रोशनी को सही राह पर चलना सिखाना चाहती थी , वह चाहती थी कि रोशनी कभी किसी के सामने हाथ फैलाए इसलिए उसने आज छड़ी से रोशनी की पिटाई की ।

" मेरा यकीन करो मैंने दूध नहीं चुराया , ना ही किसी से मांगा मैंने तो बस अपने भगवान से कहा था कि मैं अपनी मां के लिए बनाना हैं । तभी हमारी दरवाजे पर एक गाय और बछड़ा आ गया मैंने घर में रखी घास को बच्चें के लिए डाल दी , जब बच्चा घास चर कर रहा था तो मैंने गाय से दूध निकालकर मोदक बना दिएं । मां मेरा यकीन करों मैं झूठ नहीं बोल रहीं गणपति बप्पा की कसम " । रोशनी ने यह बात कही तो लाजों ने रोशनी को सीने से लगा लिया ।

" मुझें माफ कर दे , मैंने तुझ पर हाथ उठाया " ।

" नहीं मां , आप मुझसे माफी मांग कर मुझे शर्मिंदा ना करो " । रोशनी ने मुस्कुराते हुए कहा । इसके बाद लाजो आनंद और रोशनी ने मिलकर मोदक का गणपति बप्पा को प्रसाद लगाया और गणपति बब्बा को धन्यवाद किया । 


0 likes

Published By

Pragati gupta

pragati

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.