झिल्ली डायन(भाग-9)

क्या अंत कर पाएंगा इस डायन का राज ?

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Pragati gupta
Pragati gupta 25 Sep, 2020 | 1 min read

गांव पहुंचकर उसने पहले तो आराम किया फिर कुछ समय पश्चात उठकर पूजा की तैयारी में लग गया कलेंडर मे देखा तो रविवार आने मे अभी एक दिन बाकी था ,उसनें दो दिन की एप्लिकेशन लगाकर ऑफिस से छुट्टी ले ली और बाजार से पूजा का सारा सामान लेकर रख लिया पर मन मे अभी भी एक समस्या थी उसके मुहल्ले में दो काली मां के मंदिर हैे एक उसके घर से बिल्कुल पीछे था और दूसरा ए कि.मी की दूरी पर । कहाँ जाया जाए पूजा करने के लिए राज इस बात को लेकर बहुत चिंतित था पर फिर उसने मन बना लिया कि वो दूर वाले मंदिर जाएगा क्योंकि अगर उस डायन के प्रभाव से कुछ गलत हुया तो वहां किसी की जान पर बल नहीं आएगी वो एक सुनसान इलाका है । समय ढलते ढलते रविवार का दिन भी आ गया , राज ने सारी तैयारी कर ली और मंदिर की ओर निकल गया मंदिर पहुंचकर सबसे पहले उसने मंदिर के कुंड से स्नान किया और फिर पत्ते की छाल पहनकर एक चाकू से अपने अंगूठे का रक्त निकाल कर काली मां की प्रतिमा पर अर्पित कर दिया राज ने इतना किया ही कि अचानक उसे ऐसा प्रतीत होने लगा जैसे कोई उसे पीछे से अपनी ओर खींच रहा हो ,राज एकदम डर गया और काली मां के त्रिशुल पर हाथ रख लिया करीब दो मिनट बाद उसने खुद को हल्का महसूस किया और हवन सामग्री मे कपूर डालकर कंडोलिया बाबा की समाधि पर लिखे मंत्र से हवन करने लगा ,जैसे जैसे हवन सम्पन्न हो रहा था वैसे वैसे राज को एक अजीब सी बैचेनी हो रही थी कि जैसे कोई उसके सीने पर बैठकर उसी पर वार कर रहा हो , जैसे तैसे राज ने हवन सम्पन्न किया और हवन की आखिर आहुति के तुरंत बाद वो वहीं बेहोश होकर गिर गया ,करीब एक घंटे पश्चात उसकी आंख खुली तो उसने देखा कि काली साड़ी मे अपनी जुल्फें फैलाए एक औरत उसके सामने बैठी है ,पहले तो वो उसे देखकर बहुत डर जाता है ,फिर धीरे से उसे पूंछता हैं ,"तुम आ गई झिल्ली ?"

"तूं ये मत सोच कि तूंने मुझे कब्जे मे कर लिया ,मैं तेरे मंत्रो और शक्तियों के कारण बंधी हुई हूँ ,पर मैं अपनी अस्तियां तुझे उस कंडोलिया तक नहीं ले जाने दूंगी" ,इतना कहकर झिल्ली डायन वहीं राख का ढेर बन जाती हैं ।राज जल्दी से उस ढेर को एक लाल मटकी मे भरकर उसका मुंह बांधकर उसे बिना वक्त गवांए कंडोलिया बाबा के आश्रम निकल जाता हैं । गांव से थोडी दूर निकलकर ही उसका फोन बजता हैं ," भाईया मम्मी की तबीयत बहुत खराब हैं आप घर आ जाईये " भारी आवाज में सामने से कोई बोलता है । राज हाल वहां से अपने घर के रास्ते निकल जाता है और जाकर देखता है कि ऊसकी मां सच मे बहुत बीमार पड़ी है वो हाल उन्हें अस्पताल जाकर भर्ती कराता है पर डॉक्टर कहते हैं कि इन्हें अस्थमा की बीमारी हैं कम से कम छहः दिन एडमिट रखना होगा । ये सुनकर राज का सिर चकरा जाता हैं कि ये कैसे हो सकता अगले दो दिन बाद अमावस्या हैं अगर झिल्ली डायन की अस्तियां नहीं ले जाई गई तो वो अमर हो जाएंगी पर अगर गया तो यहां मां को कौन देखेगा?

क्या राज जाएंगा अपनी मां को ऐसी हालत में छोड़कर झिल्ली डायन की अस्तियां बाबा कंडोलिया को सौपने ?जानने के लिए पढे अगला और आखिरी भाग

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