बेवफा

प्यार के लिए तरसती हुई एक आवाज़

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Pragati gupta
Pragati gupta 30 Jan, 2020 | 0 mins read

बेवफा नहीं थे हम बस इश्क करने का तरीका अलग था..

मुहब्बत बहुत थी बस हाथ बढ़ाने का नजरिया अलग था.।।

खफ़ा हैं तू इस बात से कि हम इश्क़ का इजहार नहीं करते

पर तुम क्यों हमारे एतबारों पर नहीं मरते …

बेसुमार मुहब्बत हैं इसलिए ही शिकायत हैं ।

पर इस अंदाज का भी अपना एक लिवाज़ हैं

माना कि हमारे प्यार का रास्ता अलग है

पर मजिंलो मे तो अब भी तेरा ही महताब हैं।

तू जुदा बस इस डर.से है कि कल हम न मिलें

पर तू ही बता कैसे हम आज तेरे बगैर जिएं ।

गम मनाए भी तुझसे जुदाई का कैसे मनाएं

तेरे बगैर तो हम जैसे मर ही जाएं

तू यकीनन शिक मे हैं।

पर किस्मत मे तेरा न हम अश्क पाएं।।

तेरी यादों मे जैसे कुछ क्षण ढ़ल जाए

फिर कैसे तुझे हम भूला पाएं …।

ए सनम हम तो तेरे बिन मर ही जाएं।


ए सनम हम तो हम मर ही जाएं ।।

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Pragati gupta

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