कैसें सुधरेगा ये देश जब यहां
सबमे छुपे हैं नकली वेश
इंसानियत का कोई वास्ता नहीं
झूठे चेहरे हैं यहां तो पेश
न बेटी की इज्जत, न सच का साथ
उस पर चाहिए सबको अपना अपना विकास
जोश ऱग रग में युवा के भरा हैं
पर हकीकत के साथ कोई न खड़ा है
बहन बेटियाँ सबको सुरक्षित चाहिए
पर दूसरों की बहन बेटियों की इज्जत न करना मांगिये
फेसबुक, वहाटएप पर गरीबों की
फोटो डालकर लाइक, कमेंट सबने मांगे
पर गरीबी दूर मिटाने के तरीके किसी ने न जानें
हमारा देश की युवा पीड़ी भी कितनी समझदार है
इंटरनेट पर प्यार मुहब्बत मे ही इसका बेड़ापार हैं
पढ लिख कर इस मुल्क के युवा
विदेश मे अपना पांव जमा रहें है
और हम लोगो की समझदारी देखो
यहां अनपढ ही देश चला रहा है
हाहाकार मारपीट में सबके हाथ आगे है
पर सच्चाई के लिए न्याय किसी ने न मांगे है
जिसकी वेबकूफी देखकर हकका बकका हैं दुनिया
कैंसे सुधरेगा ये देश,जब तक हम लाचारों की तरह सोंपते रहेंगे इसे जाहिलों के ख़ातिर ।

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