एक दफ़ा

एक टूटा शायर अपने लफ्ज़ समेटते हुए

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Pragati gupta
Pragati gupta 31 Jan, 2020 | 0 mins read

तुम एक दफ़ा जो साथ चरो हम ताउम्र साथ चलेंगे।

रहे न रहे ये सांसे पर हम मरकर भी तेरे साथ रहेंगे ।

मिला है ये जो अनोखा स्वरूप इश्क़ के ख्वाब मे

इसे हकीकत मे तब्दील हम एक बार करेंगे ।

छूट जाए भले ही दामन गैरोंं का

पर इस बार हम साथ अपनो के मरेंगे

गद्दारी महताब से बहुत भारी पडे़गी

इसलिए सजदा महबूब के आगे ही करेंगे

कट जाए भले ही ये सिर हमारा

पर ये शीश तेरे अलावा किसी और के आगे न झुकेंगे..

बहुत ही उम्मीदों के साथ आए हैं हम यहां

ये हाथ हर किसी के आगे न उठेंगे ।

ठोकर लाखों खाने के बाद भी

सितम अपनों के ही सहेंगे

एक फरियाद जो कबूल हो

झोली तेरी खुशियों से भरेंगे।

दगा न मिले जिसकी पनाह मे

हम एतबार उसी यार से करेंगे

मिट चुके अब तक आधे तो्

अब क्या ही गैरों से लूटेंगे ।।

अब क्या गैरों से लूटेंगे ।

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Pragati gupta

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