"मैं जन्म लूं भी या नहीं"

निडर थी वो लड़की पर ना जाने क्यों डर रहीं थी।

Originally published in hi
Reactions 4
540
Poonam chourey upadhyay
Poonam chourey upadhyay 04 Oct, 2020 | 1 min read
Life Fear Unsafe Girl

जहाँ एक तरफ ये दुनिया बेटी दिवस मनाने की तैयारियां कर रही थी,

वही एक लड़की अपनी ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ रही थी,

 

आज एक और निर्भया कही तड़प तड़प कर मर रही थी,

निडर होकर भी वो लड़की, आज ना जाने क्यों डर रही थी।


डरते डरते वो जिंदगी से लड़ती रही,

दरिंदों के हाथों वो वही कुचलती रही,

अकेले ही वो बार बार तड़पती रही,

अपनी साँसों के साथ वो आखिरी तक लड़ती रही,


जिंदगी में आगे बढ़ने के ख्याब,वो लड़की भी बुन रही थी,

बेटियां होती है सुरक्षित, वो भी बचपन से सुन रही थी,


आज तो हार गयी थी वो लड़की भी,

जिसने रो रोकर मदद के लिए चीखा होगा,

डर के आगे भी जीत होती है,

बचपन से उसने भी सीखा होगा,


नहीं पता था उसको भी, इस देश में भी ऐसा होता है,

लड़किया नहीं है यहाँ सुरक्षित, हाल बुरा उनका होता है,


निर्भीक होकर कैसे जिये कोई लड़की,अपने इस भारत देश में,

मार दी जाती है लड़कियां यहाँ, रोज़ नए दरिंदों के भेष में,


कान खोलकर अब तुम भी सुन लो,ऐ दरिंदों,


ख़ुदको अब तुम भारत माता का लाल कहना छोड़ दो,

अपनी बहन बेटियों से भी तुम नाते रिश्ते सब तोड़ दो,


इंसाफ का क्या है,वो तो उस लड़की को मिल ही जायेगा,

पर एक माँ को अपनी बेटी फिर से कौन लौटाएगा,

सोचो तुम लोग ,एक भाई अब किस्से राखी बंधवायेगा,

और एक पिता अब किस बेटी का हौसला बढ़ाएगा,


शर्म करो ऐ दरिंदो ,ऐसी क्रूरता तुम लोग रोज़ रोज़ क्यों दिखाते हो,

सपूत बनने की जगह तुम भारत के कपूत क्यों बन जाते हो।भारत के कपूत क्यों बन जाते हो।


@पूनम चौरे उपाध्याय

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित


4 likes

Published By

Poonam chourey upadhyay

poonamchoureyupadhyay

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.