बेरंगी दुनिया से रंगीन सफर

बेरंगी दुनिया का मज़ा ही अलग था,आज की दुनिया रंगीन होकर भी बेरंगी सी है।

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Poonam chourey upadhyay
Poonam chourey upadhyay 29 Sep, 2020 | 1 min read
Enjoyment No colours Colourful Childhood

पहले की बेरंगी दुनिया भी कितनी रंगीन लगती थी,

नानी,दादी की वो कहानियां,कितनी हसीन लगती थी, 

खिलौने नहीं थे उस वक़्त,पर दोस्त बहुत हुआ करते थे,

पैसे की कमी कोई नही थी,खर्चे भी कम हुआ करते थे,

गाड़िया नहीं थी पास हम पैदल स्कूल जाया करते थे,

जैसे ही छुट्टी होती थी,1रुपये का समोसा भी खाया करते थे

गर्मियों की छुट्टियां भी पहले 3 महीने की हुआ Iकरती थी,

बेरंग सी थी ये दुनिया पर कितनी रंगीन लगा करती थी। 


आज ये दुनिया रंगीन होकर भी बेरंग सी लगती है,

 मोबाइल फ़ोन में सिमट गई जिंदगी,अब रूखी रूखी सी लगती है, 

खिलौने तो बहुत है मगर,पर खेलने वाले कोई दोस्त नहीं है,

छोटे से परिवार है अब,बात करने वाले अब लोग नहीं है,

इस मॉडर्न ज़माने में,अंग्रेजी भाषा ही अच्छी लगती है,

पर हमारे मन की भावनाएं तो हिंदी में ही निकला करती है,

नई नई टेक्नोलॉजीज आ गयी,पर कुछ कमी सी लगती है,

आज की ये दुनिया कितनी बेरंगी सी लगती है।


@पूनम चौरे उपाध्याय

मौलिक, स्वरचित


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Poonam chourey upadhyay

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