मां मुझे तुम्हारी याद बहुत आती है

मातृ दिवस विशेष

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pinki singhal
pinki singhal 08 May, 2022 | 0 mins read




मैं जब भी देखती हूं मंदिर में माता की मूरत कोई,करुणा तुम्हारी आंखों की मेरी आंखों में उतर आती है

झर झर बहते हैं अश्रु नयनों से मेरे,चाहूं मैं कितना पर रोक इन पर न लग पाती है

मैं क्या करूं मां,मुझे तुम्हारी याद बहुत आती है


मैं जब निवाला रोटी का मुंह तक लाती हूं,भरपेट खाने के बाद भी मुझे और खिलाने की तेरी वो जिद याद आती है

खो जाती हूं तब मैं मां बस तुम्हारे ही खयालों में,तेरे हाथों की खुशबू मेरे स्वाद को कई गुना बढ़ा जाती है

मैं क्या करूं मां,मुझे तुम्हारी याद बहुत आती है


जब कभी देखती हूं मैं विदाई किसी दुल्हन की,मुझे ममता तेरी बरबस याद आ जाती है

कितना तड़पी थी तू मुझसे जुदा होने के ख्याल से,तेरी उस तड़प से मेरी बेचैनियाँ बढ़ जाती हैं

मैं क्या करूं मां,मुझे तुम्हारी याद बहुत आती है


जब आती हूं घर मैं दिन भर की भाग दौड़ के बाद, तुम्हारे आंचल की वो ठंडी छांव याद आती है

कैसे तुम करती थी रह भूखी हर शाम मेरा इंतजार,तेरे समर्पण की हर छोटी बड़ी बात मेरी आंखें नम कर जाती है

मैं क्या करूं मां,मुझे तुम्हारी याद बहुत आती है


जब भी होती हूं मैं असमंजस घिरी मुश्किलों के बीच,अपनी सभी परेशानियों में तेरी दी हर सीख याद आती है

क्या ये संभव नहीं अब मां कि तुम्हारी गोद में मैं सोयूं सिर रखकर,क्यों शादी के बाद बेटियां इतनी पराई हो जाती हैं

मैं क्या करूं मां,मुझे तुम्हारी याद बहुत आती है


पिंकी सिंघल

दिल्ली

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