इंतजार

फैमिली का साथ है जरूरी

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Pallavi verma
Pallavi verma 29 Jun, 2020 | 1 min read
Relationships

घड़ी का अलार्म ट्रिन, ट्रिन,ट्रिन ट्रिन बज रहा था। कसमसाई सी, सोनाली आंखे बिना खोलें, अलार्म ऑफ, करना चाह रही थी ।

तभी याद आया कि, "अब काहे की ....जल्दी अब उसे कहाँ,कोई टिफिन बनाना है?  कहाँ स्कूल बस के साथ,बाय करते करते चलना है? अब कहाँ पति महाशय, को दौड़ दौड़ कर पर्स,रुमाल,घड़ी देना है? ना ही नाश्ता,चाय की मनुहार करना है ।

अब तो कोई आपाधापी नहीं, ....खा जाने वाली शांति है!!  सारी जिंदगी!!हर किसी से एक मिनट का टाइम नहीं है मेरे पास,.... यही कहती रही ।व्यस्तता की शिकायत करते -करते जीवन कट गया ,और आज इस दहलीज पर खड़ी हूं कि समय काटे, नहीं कटता।

जिस बिखरे घर से मैं त्रस्त हो चुकी थी, वही अब ये साफ़ ,सुथरा घर , मुझे खाने को दौड़ता है ।जिस किचन में ,मै खुद को किसी बावर्ची से कम नहीं समझती थी ।और दो घड़ी बैठने को तरसती थी ।आज उसी किचन का ,ठंडा चूल्हा खाली बर्तन भरा हुआ फ्रिज मुंह चिढ़ाता है

यह सब सोचते ,सोचते सोनाली ने बिस्तर से उतर के अपने बालों का जूड़ा बनाया ।स्लीपर पैर में डालें और पतीले में चाय के लिए पानी गर्म किया पीछे से उसके पति भी ,उठ चुके थे,उन्होंने अपना अखबार लिया और बरामदे में जाकर पढ़ने लगे।

सोनाली चाय बनाते हुए वापस विचारों ,में खो गई कि संडे के दिन कैसा बीतता था ।

सात दिनों में से एक, रविवार ही उसे भाता था उस दिन उसे, पति और बच्चे मिलकर,थोड़ा बहुत आराम  दे देते थे। वह हर दिन यही चाहती थी ,कि आज का दिन संडे हो,जितना उसके घरवालों को इंतजार नहीं होता था, उससे ज्यादा सोनाली को संडे का इंतजार रहता था ।

शायद संडे को एक दिन, की रानी बन जाती थी ।सुबह की चाय ,पति बना लेते थे,नाश्ता खाना सब मिलकर बनाते थे, और फिर बैठकर के कोई मूवी देखा करते थे। सोनाली याद कर रही थी, कि संडे को अक्सर बाहर घूम ,के ,फिर खाना खाकर ही आते थे ।यह एक दिन उसे काफी सुकून दे जाता था ।उसकी भागती दौड़ती बिखरती जिंदगी में एक संडे, ही था जो उसे खुद से मिला देता था ।

तभी बाहर से पति ने कहा ! आज चाय ... मिलेगी भी की सीधा नाश्ता ही दोगी ।

वर्तमान में आते ही सोनाली ने कहा!!! बस दो मिनट!!!.....बाहर आकर पति से पूछा ???आज कौन सा डे है ???ट्यूसडे ...ना... पति ने कहा !!मगर क्यों ????सोनाली ने कहा "ऐसे ही" ...उसके पति उसके दिल का हाल जानते थे।

वो उसके पास आए, उसके दोनों कंधे पर हाथ रखा ,और कहा मुझे पता है !!तुम्हें हर दिन संडे का ही इंतजार क्यो होता है ???ताकि तुम अपने दोनों बच्चों को ,अपने घर पर बुलाकर ,उन्हें खूब सारे व्यंजन खिला सको ।उस दिन तुम्हारे दिन भर की व्यस्तता देखकर मुझे बहुत आश्चर्य होता है!!.. इसी व्यस्तता... से तुम कितनी चिड़ी !! रहती थी।

और आज वह दिन है कि तुम इंतजार करती हो कि तुम वापस व्यस्त हो जाओ ,डूब जाओ उन्हीं कार्यों में ,उसी बिखरते घर ,को निहारो उस फैले किचन को देख ,मुस्कुराओ ।पहले संडे को तुम आराम चाहती थी ,आज उसमें तुम अपने बच्चों को मनुहार करके खिलाने में रुचि लेती हो ।सोनाली ने कहा हां !दिन कैसे बदल जाते हैं ना ।पता ही नहीं चला ......बच्चे कब बड़े हो गए ?? शायद पहले पता होता की , कुछ समय के लिए हमारे पास होंगे , फिर अपने अपने कामों के चलते इधर -उधर चले जाएंगे। तो उन पर बिल्कुल भी गुस्सा नही करती।याद आता है तो बहुत दुख होता है ।मगर हम लोग, फिर भी खुश नसीब है, की दोनों बच्चे , हमसे केवल 20- 25 किलोमीटर दूर ही रहते हैं । और संडे को मिलने आ जाया करते हैं।  यही क्या कम है ... जीपहले हमें खुद के लिए थोड़ा वक़्त, चाहिए होता था। आज बच्चों से थोड़ा वक़्त चाहिए ।जीवन में हर घड़ी हमें कुछ और ही चाहिए होता है ,वो नहीं जो है ।,तलाश कभी खत्म नहीं होती।

हां !! दोनों बच्चे कई सालो से दूर रहते हैं, पर मेरे जीवन में आज भी यह संडे है जो मुझे गुजरे दिनों की ,थोड़ी सी याद सी याद दिला जाता है ।

मुझे यह सफाई अच्छी नहीं लगती, जी!! अब मुझे यह शांति पसंद नहीं है ।

तभी मोबाइल की रिंग बजती है । सामने से सोनली की बड़ी बहू बोलती है!! हैलो ...मम्मी... इनका प्रमोशन हो गया है!! कंपनी ....,इनको दो साल के लिए "दक्षिण अफ्रीका "भेज रही है, हम सब अगले महिने चले जाएंगे , वीकेंड में इनको हेड ऑफिस मे काम है तो हम आपके पास नहीं आ पायेंगे ।अफ्रीका जाने से पहले आपका आशीर्वाद लेने ज़रूर आएंगे।आप खुश हैं ना ।

सोनाली उदासी छुपाते, हुए बधाइयां देती है। और कहती है !!हां बहुत खुश हूँ बेटा... खूब तरक्की करो ।आगे बढ़ो ।

कुछ दिनों में संडे आता है ।मुरझाई हुई सूरत लेकर ,सोनाली नाश्ता बना रही होती है। तभी पीछे से छोटा बेटा ,अपने पूरे परिवार के साथ आता है ।और मां से कहता है मां तैयार हो जाओ व्यस्त रहने के लिए।

इसी एरिया के ब्रांच में,मेरा ट्रांसफर हो गया है ।बैंक ने, मुझे इसी हफ्ते ज्वाइन करने कहा है ।।हम ,इसी हफ्ते शिफ्ट हो जाएंगे ,आपके पास ही रहेंगे ।सोनाली भरी आंखों से,अपने बेटे के दोनों गालों को पकड़ लेती है, और उसके सीने में सर ..रखकर रो देती है !!!

किचन से बाहर आकर देखती हैं कि, उसके पोता-पोती सोफे में कूद -कूद कर खेल रहे हैं ।

सोनाली का इन्तज़ार खत्म हो चुका है,बल्कि इस कदर, कि संडे कब गुजर जाता है,उसे याद ही नहीं रहता।

हाँ उसके पति,उसे छेड़ने के लिए ज़रूर कहते है अब कहाँ गया तुम्हारा .....संडे ?

बेटा आश्चर्य से पूछता है? एसा क्यों ..... पूछा पापा आपने ... ?? कहाँ गया मम्मी का संडे !!

बिना उत्तर दिये ही सोनाली और उसके पति खिल खिला कर हंस देते हैं ।

पल्लवी वर्मा

स्वरचित

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Pallavi verma

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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    संदेशपरक

  • Sushma Tiwari · 3 years ago last edited 3 years ago

    खूबसूरत सी

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