सेंध

क्रेडिट कार्ड का सच

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Pallavi verma
Pallavi verma 03 Jun, 2020 | 1 min read



शीर्षक-: सेंध


" रश्मि रोज़ ही मेरे पर्स से रुपये गायब करती हो,शर्म नहीं आती यूँ ,सेंध लगाते हुए ! निहायत ही बेशर्म औरत हो ।

खुद कमाओ तो जानो "


" तुम्हारे गिनती के रुपयों से चंद नोट निकालती हूँ, ताकि इस घर की जरूरतों का सामान ला सकूं, तुम भी यह बात बखूबी जानते हो।

रही बात कमाई की तो, बच्चों के लिए केरियर की कुर्बानी तो औरत को ही देनी होती है ।"

"अब लास्ट और फाइनल बात , ये जो क्रेडिट कार्ड यूज़ कर रहे हो ! कर्जदार बनने मे अपनी शान समझ रहे हो ! कर्ज दीमक के समान होती है मिस्टर ! ये कार्ड ,असली सेंध डाल रहें है तुम्हारे पर्स मे,वो भी तुम्हारे ही पर्स में रहकर ।"


पल्लवी वर्मा 

स्वरचित

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