भरण पोषण

#Ichallengeyou भरण पोषण article #8

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 1282
Pallavi verma
Pallavi verma 15 May, 2020 | 1 min read

सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप एक पुरुष धन की व्यवस्था करता है, और एक स्त्री घर की व्यवस्था सुचारू रूप से चलाती है।

मगर इस व्यवस्था के परिणाम स्वरूप एक स्त्री का धन के ऊपर कोई हक नहीं होता। उसकी किए हुए हर कार्य बिना मूल्य चुकाए प्राप्त हो जाते हैं। अतः स्त्री धन के अलावा उसके पास कोई भी आर्थिक संबल नहीं होता।

तलाक के बाद

जब पति पत्नी का संबंध विच्छेद होता है, तब उसे अपने जीवन को चलाने के लिए आर्थिक सहायता चाहिए होती है जोकि वह तलाक के बाद भरण पोषण के रूप में चाहती है।

याचिका कहाँ दायर की जा सकती है

जहाँ स्त्री रह रही हो या फिर जहां पति रहता हो कहीं पर भी वह सीआरपीसी की धारा 125 भरण पोषण की याचिका दायर कर सकती है ।इसके अंतर्गत अपने और अपने बच्चों के लिए धन और प्रॉपर्टी के हिसाब से भरण पोषण की याचिका में मांग रख सकती है।

लिव इन रिलेशनशिप

लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ें यदि समाज के सामने दोनों पति-पत्नी के जैसे रह रहे हो तो, युवती भरण पोषण की अधिकारी मानी जाएगी और बिना विवाह के लिव इन रिलेशनशिप में रहते हुए उनकी संतान को भी भरण पोषण का हक प्रदान किया जाएगा।

एकमुश्त भरण पोषण

यदि महिला चाहे तो वह, एकमुश्त धनराशि भी भरण पोषण के रूप में प्राप्त कर सकती है।

देय राशि

भरण पोषण मैं तय की हुई राशि निश्चित रूप से देनी होती है, यदि इसमें किसी तरह की आनाकानी की जाए तो यह एक दंडनीय अपराध है।

पल्लवी वर्मा

स्वरचित

0 likes

Support Pallavi verma

Please login to support the author.

Published By

Pallavi verma

pallavi839570

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.