अक्सर

एक औरत प्रेम स्नेह और मान सम्मान से अपने परिवार को पूर्ण रखती है परंतु उसके जीवन में इन चीजों की कहीं ना कहीं रिक्तता ही रहती है

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 954
Namrata Pandey
Namrata Pandey 15 Feb, 2021 | 1 min read

मन ही मन में

कितना कुछ बुनती हूं

पर मन की बातों को

कहने से डरती हूं

हां ,मैं अक्सर चुप रहती हूं

घर के अहम फैसलों को मैं

सबके मुंह से सुनती हूं

पर अपनी राय देने से

हरदम बचती हूं

हां , मैं अक्सर चुप रहती हूं

गलती ना होने पर भी मैं

मैं ही अक्सर झुकती हूं

अपनी नाराजगी को

जाहिर करने से बचती हूं

हां मैं अक्सर चुप रहती हूं

सब को खुश रखने की खातिर

अपनी ख्वाहिशें भी

ताक पर रखती हूँ

हां ,मैं अक्सर चुप रहती हूं

सबका दिल रखती हूँ पर

अपने दिल की बातें

कागज पर लिख दिया करती हूँ

क्योंकि मैं अक्सर चुप रहती हूं.

 

0 likes

Support Namrata Pandey

Please login to support the author.

Published By

Namrata Pandey

namratapandey

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.