बेबसी

मां लाख दुख सहन करते हुए भी संतान की खुशी में ही अपनी खुशी ढूंढती है

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Namrata Pandey
Namrata Pandey 26 Jul, 2021 | 1 min read

बहू ने सास के आगे खाने की थाली परोस दी,पर बूढ़ी मां को भूख कहां ? बोली" पता नहीं, गांव से दूर बेगाने शहर में मेरे लाल ने कुछ खाया भी होगा या नहीं, जब मेरे श्याम का फोन आएगा कि उसने आज की रोटी खा ली है तभी मेरे गले से निवाला उतरेगा" .बहू ने अपने पति को फोन लगाया. श्याम अपने साथ में लिए खाने के पैकेट को खोलकर खाने ही बैठा था. फोन पर मां की आवाज सुनकर उसकी आंखें भर आईं. "हां मां, मैंने खाना खा लिया है तू भी खा ले. मां बोली" बेटा क्या खाया.बेटे ने उत्तर दिया मां बस पूछ मत, आज तो सब कुछ मेरी पसंद का ही था. दाल भरी कचौड़ी,आलू मटर की सब्जी,रायता और हां साथ में दूध की बर्फी भी थी, सूखा चावल नमक के साथ किसी तरह गले से उतारते हुए श्याम ने कहा और उसकी बात का विश्वास कर मां ने खुशी से अपना खाना खा लिया, और मानो बर्फी की मिठास माँ के गले में भी उतर आई. 

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Namrata Pandey

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  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    उम्दा

  • Namrata Pandey · 4 years ago last edited 4 years ago

    हृदय से आभार आपका संदीप

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