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परिवार की जिम्मेदारियों के तले स्त्रियां अपने शौक भूल जाती हैं

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Namrata Pandey
Namrata Pandey 07 Mar, 2021 | 1 min read
वूमेन our society

जीवन के अभिन्न हिस्से को

 खुद से दूर क्यों कर रही हो

 किताबें बंद हैं अलमारी में

खोल कर पढ़ क्यों नहीं रही हो 

नहीं रहती थी जिनके बिन

 अब कैसे रह लेती हो 

जीवन की आपाधापी में 

अपने शौक क्यों छोड़ देती हो

सजा लो फिर से मेज पर

 प्यार से पन्ने सहलाओ 

उदास हैं वो भी बिन तेरे

तुम भी उनके साथ मुस्काओ

जिम्मेदारियों का वास्ता मत दो 

तुम भी खुद की ही जिम्मेदारी हो

 सब को खुश रखती हो

फिर क्यों खुद से हारी हो 

घर को खूब सजाया तुमने 

एक कोना खुद के लिए सजा लो

अस्तित्व महक उठेगा 

बस जरा वजूद चमका लो.

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