अनकही

Unspoken unsaid love

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 02 Feb, 2021 | 1 min read
Life Love

जब तुमसे नजरे मिलाने की हिम्मत जुटा सकी मैं,

तब तुम "तुम" न थे,

मैं भी कहाॅ " मैं" रह गई थी?

कोई और हो गए थे हम-तुम।

किसी और की हो गई थी हमारी जिन्दगियाॅ,

रास्ते अलग थे,

दुनिया अलग बसा ली थी हमने।

सबकुछ तो था हमारे पास।

पर, यादें बेशुमार,

बेचैन कर देती थी कभी-कभी।

कुछ प्रेमोन्माद का माहौल-सा बन रहा था

हम फिर डूब रहे थे---

अपनी ही भावनाओं के बवंडर में।

नाजायज कुछ भी नहीं होता प्यार में,

इसलिए-- चीख-चीखकर घोषित करना चाहती है

मेरी अनकही

"हाॅ, मुझे तुमसे प्रेम है, प्रेम है ।"

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