मेरे राम!

A memoir

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 09 Aug, 2020 | 1 min read
Ram rajya Ramayan

कहते हैं, गोस्वामी तुलसीदास जी ने जन्म लेने के तुरंत बाद पहला शब्द, "राम" बोला था! आगे चलकर वे प्रकांड राम- भक्त हुए! हिन्दी साहित्य के भक्ति- काल की रामभक्ति शाखा के वे मूर्धन्य रचनाकार हैं। उनके द्वारा रचित रामचरितमानस की लोकप्रियता कुछ ऐसी है कि जैसे क्रिश्चयन धर्मानुयायियों का बाईबल!

बचपन में हम रेडियो बहुत सुनते थे। सुबह-सुबह रामधुन-- "रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम"सुनकर नींद खुला करती थी। उन दिनों हमारी जानकारी का स्रोत हमारी दादी हुआ करती थी। सो, रामायण की कहानी सबसे पहले उन्हीं से सुनी थी। जब थोड़े बड़े हुए तो दूरदर्शन पर रामायण का धारावाहिक आने लगा। उस समय हमारे घर में टीवी नहीं थी। पिताजी यह कहकर टीवी नहीं खरीदते थे कि टीवी आने से बेटी का पढ़ाई में मन नहीं लगेगा। यह वह ज़माना था जब पढ़ाई के लिए बच्चों पर बड़ा दवाब डाला जाता था और बच्चों की शिक्षा- दीक्षा हेतु माता- पिता हँसते हुए कई बड़े- बड़े त्याग कर जाया करते थे।

बहरहाल, हम रामायण देखने अपने डांस स्कूल जाते थे। हर सुबह रविवार को बिला नागा वहाँ पहुँच जाते थे। माँ से मनवाना मुश्किल था, इसलिए पिताजी से कहकर पहले ही आज्ञा ले ली थी। रविवार को उनकी छुट्टी रहा करती थी। इसलिए माँ भी कुछ नहीं कह पाती थी। रामायण के प्रति इतना आग्रह देखकर हमारी डांस टीचर ने भी रविवार को हमारी कक्षाएँ लगा दी थी, हाँ साढ़े नौ बजे के बाद। जब धारावाहिक समाप्त हो जाती थी। मुझे आज भी याद है, रामायण का टाइटल साँग के आरंभ होते ही सड़कें सारी सुनसान हो जाया करती थी। लोग कुछ भी कर रहे हो, परंतु अगले आधे घंटे तक के लिए वे टीवी के सामने स्थिर हो जाया करते थे! अपनी जगह से हिलते तक न थे।

दिसम्बर, 1992 में जब बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया उस समय हम दसवीं कक्षा में थे और बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। याद है, कि हमारी प्री - बोर्ड की परीक्षा जो दिसम्बर में होने वाली थी वह रद्द कर दी गई थी। हम लोग काफी असमंजस की हालत में थे कि आगे इम्तिहान हो पाएगी अथवा नहीं। खैर, जब स्थिति सामान्य हुई तो अगले महीने हमारी परीक्षा हुई थी!

1992 से लेकर 2020 तक भारतवासियों को इस राममंदिर हेतु दीर्घ लड़ाई लड़नी पड़ गई। लंबा इंतज़ार के बाद अब यह शुभ समाचार मिला कि माननीय प्रधानमंत्री जी के कर- कमलों से इस मंदिर का शिलान्यास संभव हो पाया। भारत के लोगों ने इस अवसर पर खुशी की दिवाली मनाई। घर- घर में दिए जलाए गए। आखिरकार,उनका वह बरसों पुराना सपना साकार होने वाला है। सही अर्थों में अब लगता है कि जैसे शीघ्र ही राम- राज्य स्थापित होने वाला है।

मर्यादा- पुरुषोत्तम राम सदा हम सबके दिलों में जो बिराजते हैं।

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Moumita Bagchi

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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    बढिया

  • Neha Srivastava · 3 years ago last edited 3 years ago

    अति उत्तम👌👌💐

  • Ektakocharrelan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Wah

  • Moumita Bagchi · 3 years ago last edited 3 years ago

    Sonu ji, Neha ji aur Ekta ji aap teeno ko tahedil se shukriya🙏

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