Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 16 Apr, 2021
एहसास
बसे हो तुम मेरे, हर एक एहसासों में! पर जाग्रत रूप में, कहीं नहीं हो! आँखों में समाई रहती सदा मोहन- मूर्ति तुम्हारी, हर धड़कन में है तुम्हारा वास। हर प्यास बुझ जाने के बाद भी, शेष रह जाती है, एक तुम्हारी ही आस! प्रेम, तुम मेरे हर एहसास में छुपे हो, पर जाग्रत रूप में कहीं नहीं हो!

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by moumitabagchi

16 Apr, 2021

#एहसास

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