Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 17 Nov, 2020
नवनिर्माण के पथ पर
कूज़ागर हमको फिर से बना! नई मिट्टी में थोप- थोपकर, अपने हाथों से ठोक-पीटकर, फिर खूब अपने चाक में घूमा-घूमाकर- एक नया कलेवर दे डाल! ताकि मुक्ति मिले इस पुरातन "मैं" से! फिर भट्टी की आँच में खूब तपाकर एक पावन पुनीत नया स्वरूप दे डाल!

Paperwiff

by moumitabagchi

17 Nov, 2020

नए स्वरूप की चाह

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