#ichallengeyou # 10blogswritingchallenge

हिन्दी की बोलियाँ

Originally published in hi
Reactions 0
620
Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 13 May, 2020 | 1 min read

हिन्दी भाषा का उद्भव और विकास- 3

हिन्दी की बोलियाँ

हिन्दी अपनी आँचल में सत्रह बोलियों को समेटे हुए हैं। अपनी बोली जाने वाली क्षेत्रों के आधार पर इनका मूलतः पाँच वर्गों में वर्गीकरण किया जाता है, जो निम्नलिखित है:-

1) पश्चिमी हिन्दी-- खड़ी बोली, हरियाणवी,दक्खिनी, ब्रजभाषा, बुन्देली, कनौजी ।

2) पूर्वी हिन्दी-- अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी।

3) बिहारी हिन्दी--भोजपुरी, मगही, मैथिली ।

4) राजस्थानी हिन्दी-- मारवाड़ी, जयपुरी, मेवाती, मालवी ।

5) पहाड़ी हिन्दी- कुमाऊँनी, गढ़वाली

परिचय:-

1) खड़ी बोली-- इसे कौरवी भी कहा जाता है। इसका केन्द्र मेरठ है- सहरानपुर, मुज्जफ्फरपुर, बुलंदशहर, बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद, देहरादून का मैदानी भाग,तथा अंबाला,पटियाला का पूर्वी भाग खड़ी बोली का क्षेत्र है। सामान्य बोलचाल की भाषा के लिए खड़ी बोली को" हिन्दुस्तानी" कहा जा गया है। खड़ी बोली का परिनिष्ठित रूप वर्तमान हिन्दी है जो पत्र-पत्रिकाओं, शिक्षा- संस्थानों, व्यापारों आदि में प्रयुक्त होती है।

2) हरियाणवी:- इसे "बाँगरू" और "जादू" भी कहते हैं।हरियाणवी, दिल्ली, रोहतक, करनाल, जींद,नाभा और हिसार में बोली जाती है। पहले यह फारसी लिपि में लिखी जाती थी, किन्तु अब नागरी लिपि का ही प्रयोग होता हैं।

3) दक्खिनी--इसका मूल आधार खड़ी बोली ही है। भारत के दक्षिण प्रांतों जैसे बीजापुर, गोलकुण्डा, अहमदनगर, गुलबर्गा और बरार दक्खिनी का प्रमुख क्षेत्र है। इसका साहित्य अत्यंत समृद्ध है। दक्खिनी दक्षिन में शिक्षा और प्रशासन की भाषा रही है। यह भी फारसी लिपि में लिखी जाती थी। 18वी शती के समाप्त होने तक दक्खिनी का स्थान उर्दू ने ले लिया।

(क्रमशः)

0 likes

Published By

Moumita Bagchi

moumitabagchi

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.