प्यार का सहारा भाग -1

अमीश का पहला प्यार नाकाम हो चुका था। उसकी गर्लफ्रेन्ड ने उसके दोस्त से शादी कर ली थी।

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Moumita Bagchi
Moumita Bagchi 05 May, 2020 | 1 min read

उसकी गर्लफ्रेन्ड दिशा ने जब उसीके दोस्त समीर से शादी कर ली तो यह समाचार पाकर उसे एक जोरदार धक्का लगा था, जिसे वह संभाल नहीं पाया । समय के साथ-साथ वह पूरी तरह टूट चुका था। आखिर उसकी क्या गलती थी? उसने तो दिशा से टूटकर प्यार किया था। फिर दिशा ने उसके साथ ऐसा क्यों किया?

दिशा, दिशा, दिशा; दिशा के बिना उसका जीवन अब दिशाहीन हो चुका था। अमिश, जो गाँव से पढ़ाई करने शहर आया था, माँ -बाबूजी के सपनों को साकार करने थे, घर की जिम्मेदारी निभानी थी, बड़े भाई का फर्ज़ अदा करके छोटी बहन को डोली पर बैठाना था-- दिशा के प्यार में पड़कर वह यह सब भूल गया था।

वह काॅलेज के अंतिम वर्ष में था। इम्तीहान नज़दीक थी और उसकी मानसिक स्थिति एक विक्षिप्त की सी हो रही थी। इस हालत में वह परीक्षा कैसे दें? इतने वर्षों की उसकी मेहनत सब बेकार हो गई थी। उसका यह वर्ष नष्ट होने वाला था।


अमीश अब दिन-रात शराब पीने लगा था। कहाँ तो उसके दोस्त रात जगकर इम्तिहान की तैयारी कर रहे थे। और उसे, किताबों से इस समय नफरत सी हो गई थी। किताब खोलते ही उसमें दिशा की छवि दिखने लगती थी। कितने अरमान थे उसके कि ग्रेजुएशन के बाद सिविल सर्विसेस की तैयारी करेगा। परंतु वह सब उसे अब याद कहाँ? वह दिशा के गम में देवदास बना हुआ था!

शराब पीने के साथ-साथ उसे उन बदनाम गलियों में जाने की भी आदत हो गई थी। पहले दिन उसका सहपाठी सुरेश उसे जबरदस्ती ले गया था, परंतु आजकल वह खुद ही चला जाया करता है। वहाँ एक लड़की है-- रमा। उसीका गाना वह सुनता है। जेब में जितने पैसे थे वह सब खतम होने वाला था। ट्यूशन पढ़ाकर पिछले दो साल में उसने जितने पैसे जोर लिए थे, वे सारे खतम हो चले थे। होस्टल का दो महीने का किराया बाकी था। वह नजदीक के एक धाबे में अंशकालिक वैटर का काम करता है।

रमा का साथ उसे अच्छा लगता है। ऐसा मालूम होता है कि वह उसका दर्द समझती है। उसके पास जाकर वह सुकून से सोता है।हर रात को तो वह नहीं जा पाता।फिर हर रात को रमा भी फ्री नहीं होती। उसे दूसरे ग्राहकों की भी आवभगत करनी पड़ती है। जिस रात को रमा उसके पास होती है, उस रोज उसके दिल के दर्द पर रमा अपनी मीठी मीठी बातों से मरहम लगा देती है।

रमा बेचारी बड़ी दुखियारी है। उसका सौतेला बाप ने उसे दलाल के हाथों बेच दिया था। वह दलाल फिर उसे जीबी नगर के इस कोठे पर बिठा गया। अठारह साल की कच्चे उम्र में ही उसने दुनिया देख ली थी। भले और बुरे की बखूबी पहचान वह अब कर सकती थी।

उसके सारे ग्राहकों में से अमीश सबसे अलग था। बाकी लोग तो उसके जिस्म का सौदा करने यहाँ आते थे। परंतु अमीश अपनी जख्मी दिल का मरहम ढूंढने आया करता था। इसलिए रमा को अमीश विशेष रूप से पसंद था।

आज अमीश ने आते ही रमा से कहा,

" रमा, जोर से भूख लगी है, कुछ खाने को ला सकती हो?"

रमा ने कहा, " बैठिए अभी लाती हूँ।"

बाहर जाकर उसने चंदा को आवाज़ लगाई। चंदा एक हिज़रा थी। वह चंद पैसों के लालच में इन कोठेवाली लड़कियों का छोटा-मोटा काम कर दिया करती थी। उसी से जाकर रमा ने कहा कि नुक्कर के पासवाली होटल से कुछ खाने को ले आए। और उसने चंदा की बड़ी सी हथेली में चंद नोटें रख दी।

नोट पाकर चंदा खुशी खुशी होटल से खाना लाने चल दिया।

( क्रमशः)

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