तुम संग इश्क और टपरी वाली चाय

इश्क़ और सुबह की चाय

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Monika Khanna
Monika Khanna 19 Feb, 2020 | 1 min read

"क्या है शुभी क्यों इतनी सुबह-सुबह जगा दिया" झल्लाते हुए मनु मखमली कंबल में खुद को लपेटते हुए बोला।

"कितने अन रोमांटिक है आप" झूठा गुस्सा दिखाती हुई शुभी रूठने का नाटक करते हुए बोली।

"शुभी कितनी सर्दी है यार  7 डिग्री टेंपरेचर है, क्यों बंदे पर जुल्म कर रही हो" मनु ने अलसाई आवाज में बोला।

"शराफत से उठ जाइए और चलिए गोमती नदी किनारे....... पन्ना समझ लीजिएगा मैं आपसे बात नहीं करूंगी.." शुभी ने तुनकते हुए जवाब दिया।

मरता क्या न करता और आखिरकार कुछ देर में कंपकंपाते हुए मनु शुभी का हाथ पकड़ पहुंच गया गोमती किनारे जहां शुभी और उसकी पसंदीदा चाय की टपरी से अदरक और इलायची की महक से भरी चाय की खुशबू आ रही थी।

तभी टपरी वाला भैया शुभी और मनु की पसंदीदा चाय को कुल्हड़ में डालकर और उस पर मलाई मार कर उन दोनों को दे गया।

दोनों ने कंपकंपाते हाथों से कुल्लड़ को थाम लिया...

"कितना खूबसूरत नज़ारा है ना मनु, यह कोहरा, टपरी तुम संग इश्क़ और सुबह की चाय और वो भी कुल्हड़ वाली" कहते हुए शुभी ने मनु के कांधे पर सर टिका लिया और मनु ने शुभी के माथे पर अपने प्यार के निशानी को अंकित कर दिया ।



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