स्टेटस

यह बचपन ही तो है जहां रिश्ते नि:स्वार्थ भाव से निभाये जाते हैं।

Originally published in hi
Reactions 0
762
Mona kapoor
Mona kapoor 06 Jun, 2019 | 0 mins read

"वासु.....बेटा वासु! कहाँ हो इधर तो आओ,देखो! आपकी दादी आपको कब से ढूंढ रही है।" घुटनों के दर्द को बर्दाश्त कर आशा जी अपने पोते को पूरे घर में आवाज मार ढूंढती हुई नजर आ रही थी।

सौम्या देखो ना वासु कहाँ गया। पूरे घर में ढूंढा नही मिल रहा ऐसा कहते हुए जैसे ही आशा जी ने बाहर का दरवाजा खोल गार्डन की ओर झांका तो वो जोर से चीख पड़ी।

“अरे! यह क्या हो रहा है, चलो भागों यहाँ से..हट..हट।"

अपनी सास की गुस्से भरी चीख सुनकर सौम्या जल्दी से बाहर आकर बोली “क्या हुआ,मम्मी जी?"

“देखो! सौम्या तुम्हें कितनी बार कहा है कामवाली के बच्चे के साथ मत खेलने दिया करो वासु को।

मुझे बिल्कुल नहीं पसंद यह सब। देखो! कैसे वासु उसके साथ गार्डन में अपने स्विमिंग पूल में खेल रहा है। वो बच्चा कितना गंदा है, उसके शरीर की गंदगी पानी में जाने से कही मेरे वासु को स्किन का इंफेक्शन ना हो जाए।"

अपनी सास की बातें सुनकर सौम्या बोली "कुछ नहीं होगा मम्मी जी। खेलने दीजिये ना उन दोनों को यही तो बचपन है जहां रिश्ते स्टेटस देखकर नही बल्कि दिल से बनाये जाते है क्योंकि आने वाले समय में जब वासु बड़ा होगा तब शायद वो भी हमारी जैसी सोच रखने से वंचित नहीं होगा इसीलिए यह बच्चे बचपन में निस्वार्थ व खुशी से बनाये जाने वाले इन रिश्तों में कुछ पल ही सही लेकिन अपनी ज़िंदगी को जीते हैं।"

सौम्या की बातें सुनकर आशा जी के पास आगे बोलने के लिए कुछ नहीं था।

धन्यवाद

©मोना कपूर

0 likes

Published By

Mona kapoor

mona kapoora4hl

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.