तरु

तरु से मिलने वाली सीख पर आधारित यह कविता जरूर पढ़ें ।

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 22 Aug, 2020 | 1 min read

किसी सूखे तरु को देख ,

निष्प्राण न समझ लेना ।

वो कुछ दिन के लिए मुरझाया है ,

कोई अनचाहा ठूंठ न समझ लेना ।

पतझड़ का मौसम आया है उसपर ,

बिन पत्तों की शाखाओं को बेजान न समझ लेना ।

इन शाखाओं पर नज़र होती है,

ऊँचे गगन में उड़ते पंछियों की ।

वो भूलते नहीं उस तरु को कभी,

उसके सामर्थ्य और बड़पन को कभी ।

सावन में कोपलें फूटेंगी इस पर,

बसंत में फूल भी महकेंगे,

फल भी ये भरपूर देगा तब

जब ऋतु प्रेम बरसाएगी ।


उसको भी तो पत्थरों से मिले जख्म भरने होते हैं,

साहस के तने, पत्तों के हौंसलों से भरने होते हैं ।


मजबूत जड़ों वाले तरु कभी सूखते नहीं,

बिछड़े पत्तों की याद में बढ़ना रुकते नहीं, 

नये पत्तों के स्वागत में कभी चूकते नहीं,

वो फिर हरे होते हैं, फिर खिल उठते हैं ।


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Sunita Pawar

meri_pankti-man_ke_vichar023h

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Well penned

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