थप्पड़ नहीं, प्यार दीजिए

अपने बच्चों को थप्पड़ से नहीं प्यार से समझाइए।

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 02 Oct, 2020 | 1 min read
Motherhood

अक्सर निशा और रेखा रोज शाम के समय अपने बच्चों को पार्क ले जाते थे । इस बहाने दोनों सहेलियाँ आपस में समय भी बिता लेतीं और अपने बच्चों को खेल भी खिला लेतीं थीं ।


दोनों सहेलियों के बेटे भी हमउम्र थे तो दोनों बच्चों की आपस में खूब पटती थी । 


आज भी दोनों बच्चे अपने खेल में मस्त थे कि तभी निशा का बेटा रोता हुआ आया ।

"क्या हुआ रोहन" निशा ने घबराते हुए पूछा तो उसने रेखा के बेटे की ओर इशारा करते हुए कहा "ममा, केशु ने मुझे जोर से थप्पड़ मारा" ।


यह बात सुन रेखा को बहुत गुस्सा आया और उसने केशु को डाँटते हुए पूछा "क्यों मारा अपने दोस्त को, ये मारना-पीटना कहाँ से सीखा आपने, माफी मांगो जल्दी से"।  


रेखा ने शर्मिंदा होते हुए निशा से कहा "प्लीज, माफ कर दो केशु को" और रोहन को प्यार करने लगी ।


निशा ने रेखा के कांधों पर हाथ रखते हुए कहा "कैसी बात कर रही हो, मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूँ, बच्चों के बीच तो ये सब चलता ही रहता है, पर जरूरी है कि हम यह जानने की कोशिश करें कि आखिर केशु ने रोहन को थप्पड़ क्यों मारा?" 


रेखा गुस्से से केशु की ओर मुड़ी परंतु निशा ने उसको रोकते हुए कहा "रुको रेखा , तुम बहुत गुस्से में हो, मैं केशु से बात करती हूँ " ।


"आंटी, रोहन फूल तोड़ रहा था, मैंने उसको मना किया पर वो माना नहीं इसलिए मैंने उसको थप्पड़ मारा" केशु ने बिना डरे सहमे बताया ।


"बेटा, अगर रोहन नहीं माना तो आप हमसे कहते, मारना तो गलत बात है" निशा ने नरम लहज़े में कहा ।


केशु के मुंह से यह सुनते ही रेखा का पारा चढ़ गया, वह तमतमाती हुई बोली "मन कर रहा है कि दो थप्पड़ जड़ दूँ तेरे चेहरे पर" ।


 निशा ने उसको रोकते हुए कहा "अरे रेखा, उसकी बात तो सुन लो पूरी" कहते हुए निशा ने केशु को समझाने की कोशिश की "बेटा, अच्छे बच्चे मार पिटाई नहीं करते, आप प्यार से समझाते तो रोहन मान जाता" ।


"नहीं आंटी, रोहन नहीं मानता" केशु ने कहा तो निशा ने हैरानी से पूछा "क्यों??आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हो?" 


केशु ने अपनी माँ की ओर देखते हुए कहा "जब मैंने अपने गमले में लगे फूल को तोड़ा था , तो पता है माँ ने मुझे थप्पड़ मारते हुए क्या कहा था ? 'मना किया था न फूल तोड़ने को, बिना थप्पड़ के कुछ समझ नहीं आता तुमको' बस मुझे माँ की बात याद आ गयी, मैंने भी रोहन को मना किया था और जब वो नहीं माना तो मैंने थप्पड़ लगा दिया "।


इधर रेखा ने अपना माथा पीट लिया और उधर निशा को केशु की बात पर हँसी आ गयी ।


निशा ने रेखा को समझाते हुए कहा "देखो, बच्चे शरारती और जिज्ञासु होते हैं, उन्हें जिस काम के लिए मना किया जाए, उस काम को तो वह जरूर करते हैं , इसलिए बच्चों को थप्पड़ से नहीं प्यार से समझाना चाहिए " ।


निशा ने दोनों बच्चों को पास बुलाया और अपने प्यार भरे अंदाज से समझाया कि "पौधों को बहुत मेहनत से लगाया और सींचा जाता है, उनपर लगे फूलों को नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि फिर तितली नहीं आएगी और पार्क सुंदर भी नहीं दिखेगा" ।


दोनों बच्चों को बात समझ आ गयी थी और रेखा को भी समझ आ गया था कि बच्चों को थप्पड़ से नहीं बल्कि उनको अच्छे तर्क देकर ही समझाना चाहिए , बचपन में ही उनको अच्छे व्यवहार सिखाये जा सकते है,जो बच्चों को भविष्य में अच्छा और सफल इंसान बनने में मदद करते हैं ।


प्रिय मित्रो, आपको कैसा लगा यह ब्लॉग, जरूर बताइएगा।


धन्यवाद।


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Sunita Pawar

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