भ्रम

यह कहानी इस भरम को दूर करता है कि महिलाओं को घर पर कोई काम नहीं होता।

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Sunita Pawar
Sunita Pawar 30 Dec, 2019 | 1 min read

"माना की तुम घर का सारा काम करती हो पर तुमको मेरी तरह काम का तनाव थोड़े ही होता है...मुझे तो निर्धारित समय पर अपने मालिक द्वारा दिया गया लक्ष्य पूरा करना होता है और अगर तुम्हारा काम समय पर न हुआ तो कोन सा तुम्हारी तनख्वाह काट दी जाएगी..!..दिन-रात जुटे रहने पर भी जब लता को रवि से ये सुनने को मिलता तो उसका ह्रदय दर्द से कराह उठता..!

अचानक ही खबर आई की लता की माताजी बहुत बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं..! रवि ने लता को दो दिन के लिए माताजी के पास भेज दिया..! रवि ने दफ्तर से अवकाश ले लिया था..घर और बच्चों की जिम्मेदारी अब सारी उसकी थी.!

लता जब घर लौटी तो रवि ने उसे गले से लगा लिया.."सच में बहुत बड़े भ्रम में जी रहा था मैं..घर के काम का तनाव दफ्तर के काम से कम नहीं होता ...वहां से फिर भी आठ घंटे बाद छुट्टी मिल जाती है..बिना रुके ..बिना तनख्वाह सारे घर का काम कितनी सहजता से सम्भालती हो तुम..!.लता भी मन ही मन मुस्कुरा उठी.!

भोजन के पश्चात् जब टेलीविजन खुला तो खबर आ रही थी भारत की मानुषी छिल्लर बनी मिस वर्ल्ड 2017..बताया गया कि जब उनसे ये सवाल पूछा गया "किस पेशे में सबसे ज्यादा वेतन मिलना चाहिए और क्यों"??..इसके जवाब में उन्होंने कहा कि "मां को सबसे ज्यादा सम्मान मिलना चाहिए। जहां तक वेतन का सवाल है तो इसके लिए उन्हें नकद में वेतन नहीं बल्कि सम्मान और प्यार मिलना चाहिए। मेरी मां सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। सभी मां अपने बच्चों के लिए बहुत त्याग करती हैं, इसलिए मॉ की जॉब सबसे अधिक वेतन का हकदार है"।

मानुषी छिल्लर के इस जवाब ने घर-परिवार सम्भालने वाली महिलाओं के प्रति न केवल रवि का बल्कि पूरे समाज का भ्रम तोडा दिया है..!

©सुनीता पवार

©सुनीता पवार

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Sunita Pawar

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