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आंखों में कई सपने दम तोड़ रहे हैं।
जाने कब मंजिल मिलेगी यही सोच रहे हैं।
ना जाने कब चर्चे होंगे मेरे भी
हजारों की तादाद में लोग होगे आसपास मेरे भी
कब मेरे अपने भी गर्व महसूस करेंगे मुझ पर भी
क्या इसी ख्वाब में मेरे प्राण पखेरू हो जाएंगे?
Paperwiff
by manishalqmxd