स्त्री जब प्रेम में होती है।

स्त्री मन और उसका प्रेम।

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Manisha Dubey
Manisha Dubey 17 Feb, 2020 | 1 min read

स्त्री जब प्रेम में होती है

उसका रोम-रोम

डूबा होता है

प्रेम के अथाह समंदर में

जहाँ से कभी भी

वह उभरना नही चाहती।

शारीरिक आकर्षण

गठीला देह, कद, काठी

इन सबसे परे होता है

स्त्री का प्रेम भाव।

असल में स्त्री

सिर्फ पुरुष मन को देखती है

जहाँ आजीवन बसना चाहती है

उन आँखों को निहारती है

जिसमें दुनिया देखना चाहती है।

स्त्री कभी प्रेम के बदले

प्रेम को पाना नही चाहती

वह तो नि:स्वार्थ भाव से

प्रेम में समर्पित हो जाती है।

स्त्री का प्रेम क्षणिक नही होता

बिन देखे, बिन स्पर्श किये भी

वो आजीवन प्रेम कर सकती है ।

सच तो यही है कि

स्त्री कभी प्रेम नही करती

वो प्रेम को जीती है !!

©मनीषा दुबे 'मुक्ता'

Manisha Dubey Mukta

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