आभासी दुनिया

आभासी दुनिया और उसके लोग

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Manisha Dubey
Manisha Dubey 24 Jan, 2020 | 1 min read

आभासी दुनिया में खुद का

अस्तित्व ढूँढते कुछ लोग

हर वक्त व्हाट्सअप, फेसबुक

पर नज़र आते कुछ लोग।

अपनो से नकारे गये

ज़माने से ठुकराए गये

कुछ बुझे बुझे से

उलझते सुलझते कुछ लोग।

बेतुकी बातों पर भी

ठहाके मार हंस कर

आँखों के कोर

भिगोते कुछ लोग।

हँसते तस्वीरों को

देख मन ही मन

मुस्कुरा जाते कुछ लोग।

किसी का दर्द देख

फ़फक-फ़फक कर

बेवजह रोते कुछ लोग।

ऐसे लोग....

जिनको आप नकारा कह

संबोधित करते हैं,

"कुछ काम धाम नहीं

कोई घर बार नहीं

शायद इसका परिवार नहीं

इसको परिवार से प्यार नहीं"

ऐसे कई क़यास लगाते हैं।

दरअसल दुख के अँधेरे राहों पर

सुकूं की रौशनी तलाशते हैं ये लोग।

अपनों के परायेपन से छले गये

खुद पर तरस खाते हैं ये लोग।

मौत का खौफ़ नहीं पर ज़िंदगी की

तन्हाई से डर जाते हैं ये लोग।

दिल का दर्द छिपाने को

हर बात पर मुस्कराते हैं ये लोग।

हाँ बेवजह हंसते जाते हैं ये लोग

निकम्मे पागल कहलाते हैं ये लोग।

आभासी दुनिया की भीड़ में

अपना कोई तलाशते हैं ये लोग ।।

©®मनीषा दुबे मुक्ता

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