बचपन का प्यार

जब दिल की बात कोई समझ नही पाता, औऱ बचपन का प्यार किसी औऱ का हो जाता हैं, तब दिल की बात कही नही जाती हैं

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Mamta Gupta
Mamta Gupta 29 Mar, 2021 | 1 min read
Love

आज बरसो बाद अचानक एक मुलाकात आई रास ...

कुछ अनजानी सी लेकिन लग रही थी बेहद खास ...


उसे देखकर याद आया बचपन का यार ...

क्या !! ये वही हैं मेरा बिछड़ा हुआ प्यार ...


उसकी बातें , शरारतें बचपन की याद दिला रही थी ...

शायद मेरे सोए हुए एहसासों को फिर से जगा रही थी ...


सोचा न था कभी फिर से होगा उससे सामना मेरा ...

कभी मिल के बिछड़ा हुआ था जो रूहानी इश्क़ मेरा ...


जैसे ही मेरा हाथ हैं पकड़ा , एक मीठा सा एहसास हुआ ...

रगों में दौड़ने लगी प्यार की तरंगें , ये क्या मेरे साथ हुआ ...


हिम्मत न हुई थी उस दौरान दिल की बात कहने की ...

अब उसे पा कर फिर से खो दु ये ताक़त नही सहने की ...


बचपन से जिसकी मुझे तलाश थी वो मेरे साथ है ...

कही फिर से दूर न हो जाए , अब मेरे हाथों में वो हाथ हैं ...


क्यो न सुनी थी मैने उस बचपन मे अपने दिल की बात ...

वर्ना कहा सुनाना पड़ता गैरो में , अपने दिल के जज़्बात ...


बस इस डर से अनजान बनकर रहना चाहता हूँ ... 

मै बस उसकी खुशी के खातिर जीना चाहता हूँ ...

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