सन्नाटा

बुढ़ापे में कई दवा की जरूरत नही यदि बच्चे पास रहे तब

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Kusum Pareek
Kusum Pareek 26 Jun, 2020 | 1 min read

सन्नाटा

सुनो,मेरा नी कैप कहाँ है ? आज अद्वैत की स्कूल में स्पोर्ट्स डे है ,वहाँ चलना है ना !  

हाँ ,चलना तो है ही क्यों नहीं जाएंगे आखिर हमारा पोता जो है,यह लीजिये आपका नी कैप ,

गुप्तजी को नई कैप पकड़ाती हुई शर्मिला जी अपनी कलप लगी डोरिया की साड़ी को ठीक करने लगी ।


हालांकि उनके भी सर्वाइकल का दर्द था ,लेकिन सब कुछ भूल कर दोनों अपनी जरूरत का सामान व पोते का बैग जो पहले से ही तैयार था ,लेकर स्कूल के लिए निकल पड़े ।

अद्वैत दौड़ रहा है और दोनों अपनी अपनी जगह खड़े होकर तालियां बजा रहे हैं । 

पोते को जब मेडल मिला तो गुप्ता जी लगभग दौड़ते हुए पहुंच गए ,पोते को गोदी में लेकर ।


वहां से लौटते हुए दोनों उसके पिता विवेक का बचपन याद कर रहे थे जब वह ऐसे ही मेडल लेकर आता था लेकिन तभी फ़ोन की घण्टी घनघना उठी ।


गुप्ता जी ने हंसते हुए फ़ोन उठाया ,


हाँ ,स्वाति ! अद्वैत फर्स्ट आया है अपनी रेस में ।

मैं और तुम्हारी मम्मी घर जा रहे हैं वापिस ।

धीमी आवाज में ---- लेकिन तुम शाम को ले जाना उसको ! 

ठीक है ।

ठी ठी क^^ है ।

अब तक आवाज एकदम दब चुकी थी ,"ड्राइवर गाड़ी को डे केअर सेंटर की तरफ मोड़ लो" ।

और पनियाई आँखों से शर्मिला जी को देखते हुए अद्वैत को इस तरह छाती से लगा लिया ,मानो अमूल्य निधि को कोई छीन कर ले जा रहा हो ।


कुसुम पारीक 


स्वरचित ,मौलिक 

 

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Kusum Pareek

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