Titleदिखावा

जीवन मे केवल बनावटी पन से कैसे किसी को नीचा दिखा कर आगे बढ़ा जाता हैं, जानना है तो पढ़िए यह कथा।

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Kusum Pareek
Kusum Pareek 10 Jul, 2020 | 1 min read
Relationship




प्रिया हाथों में पकड़े बैग को खोलते हुए दो जोड़ी मोज़े निकालती है ,जो एक एक करके गुप्ता आंटी और सुमन आंटी को पकड़ाते हुए कहती हैं ,यह रहे आपके सॉक्स ,जो आपने लाने को कहे थे ।

दोनों वृद्धाएं हंसते हुए लेती हैं व अपने अपने बटुए से पैसे निकालने लगती हैं ।


"कुछ क्षण पश्चात ही वह विक्स की डिब्बी निकालते हुए,शर्मा आंटी को देती है ,यह लीजिये आंटी ,अब आपकी छाती-दर्द में भी राहत मिलेगी ।"


मुक्ता आंटी, यह आपके लिए खांसी की सिरप और यह आपके लिए नया नैपकिन ।

यह वे वृद्धाएं हैं जो कॉलोनी में बने पार्क में बैठी ,अपने सुख दुःख बाँट लेती हैं ।

थोड़ी देर में ही जो कीमत लगी, उससे कम पैसे लेकर प्रिया सबको प्रणाम कर आशीष लेती हुई घर की तरफ यह कहती हुई रवाना हो गई कि " अच्छा आंटी ,आप लोग बातें करिए ,मैं अर्नव के लिए सांता की ड्रेस अर्रेंज करती हूं ,कल उसे सांता बनाना है ।


"जुग-जुग जियो हमारी बच्ची ! "

उसके जाने के बाद ----"हमारी प्रिया क्या किसी सांता से कम है? 

हम सब बुढियों को ज़रूरत का सामान भी ला देती है और पैसे भी पूरे नहीं लेती ,आधी कीमत बता कर हमारी सहायता भी कर देती है और पैसे लेकर हमारा स्वाभिमान भी ज़िंदा रख देती है।"


कुसुम पारीक


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Kusum Pareek

kusumu56x

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    उत्तम रचना

  • Sushma Tiwari · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाह बढ़िया कथा ❤️

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